नशा शराब में होती तो
नशा शराब में होती तो नाचती बोतल ।
ठुमकती शराबियों संग झूमती बोतल।
शराब से भरी रहने पर उसकी हिफाजत है।
खत्म होते ही फेंकी जाती यही हिदायत है।
शराब खत्म होने पर भी घर में होती बोतल।
हो सके तो नशा का भूत मन से निकालो।
होश ना गंवाओ,अपने मन को संभालो।
शराब से भरकर कभी होश न खोती बोतल।
जब बोतल मदिरा से लबालब भरी होती ।
जागती खाली में और खाली में सदा सोती।
भरी में जागती और खाली में सोती बोतल।
फिर,शराबी क्यों झूमते हैं शराब को पीकर।
तड़प -तड़प कर और घुट-घुट जीकर।
खुश हो खिलखिलाती, तड़प कर रोती बोतल।
जिन्हें न फिक्र जीवन की नशा गले लगाते हैं।
नशा कर बीवी बच्चों पर सितम कितना ढाते हैं।
हैवानियत शराब में होती तो इमान खोती बोतल।
नशा मनोरोग है भाई!नशा कर पागल ना बनो।
नशा कर कभी भी निज तन- मन घायल ना करो।
शराब से भरी रहने पर तो घायल होती बोतल।
नशा कर तू कभी अपनी होश ना गवाओ जी।
कभी हाथ ना लगाओगे यह कसम खाओ जी।
बेहोशी शराब में होती तो बेहोश होती बोतल।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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