फूल सुंदर बहुत है चमन में,
बस महक की जरूरत उन्हें।
रंग देकर बनाया विधाता,
है बहुत खूबसूरत उन्हें।
गुल महक के बिना है अधूरा,
चाहे जितना वो सुंदर दिखे।
दूर रहती हैं उनसे तितलियां,
चाहे रूप का समंदर दिखे।
तान भौरों की हो जाती धीमी,
फूल लगता है मूरत उन्हें।
फूल सुंदर बहुत है चमन में,
बस महक की जरूरत उन्हें।
जब बहारों का मौसम है आता,
तो फिज़ा में है गुल मुस्कुराता।
एक भीनी-सी खुशबू हो जिसमें,
गुल वही है सभी जन को भाता।
रूप चाहे हो जितना भी प्यारा,
गुण से भाता है सूरत उन्हें।
फूल सुंदर बहुत है चमन में,
बस महक की जरूरत उन्हें।
फूल तब ही नजर हमको आता,
जब उसके निकट हम हैं जाते।
पर महक है स्वयं उड़ के आती,
हम गंध से सुवासित हो जाते।
जिन फूलों में गुण हो महक की,
लोग कहते हैं खूबसूरत उन्हें।
फूल सुंदर बहुत है चमन में,
बस महक की जरूरत उन्हें।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित मौलिक
भावपूर्ण लिखा है । वैसे प्रकृति ने आवश्यकतानुरूप ही सुंदरता और सुगंध दिए हैं ।
ReplyDeleteजी सादर धन्यवाद।
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