Tuesday, April 13, 2021

आराधना। (मां जगदम्बे गीत )



उड़हुल फूलों का हार, 
लेकर आई तेरे द्वार,
जगदम्बा पहनाऊंगी,
 तेरे गले डार।
कर लो विनती स्वीकार, 
सबको दे दो अपना प्यार।
जगदम्बा मनाऊंगी,तुझको बारम्बार।

कर जोड़ खड़ी हूं मैं मां तेरे द्वारे।
हम सबका जीवन तुम ही संवारे।
पकड़ मां मेरी भी पतवार,
कर दो नैया उस पार,
जगदम्बा मनाऊंगी तुझको बारम्बार।
उड़हुल फूलों का हार...........

करके आराधन तुझको पुकारें।
दुःख-दारिद्रा से तुम ही उबारे।
सुख की गिरती है फुहार,
मुख से निकले जय-जयकार,
जगदम्बा मनाऊंगी, तुझको बारम्बार।
उड़हुल फूलों का हार.........

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
            स्वरचित, मौलिक

6 comments:

  1. अप्रतिम मातृ वंदन। चैत्र नवरात्र की शुभकामना!!!

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  2. सादर धन्यवाद भाई!आपको भी नववर्ष की हार्दिक बधाई

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  3. मां दुर्गा की सुंदर भावपूर्ण आराधना,नववर्ष तथा नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई.... जिज्ञासा सिंह, समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी पधारें, सस्नेह सादर ।

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  4. सादर धन्यवाद सखी जिज्ञासा हो। मां जगदम्बा की कृष्ण अप्पर बनी रहे।

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  5. भावपूर्ण अभिव्यक्ति .... जय माता दी .

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  6. सादर धन्यवाद

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