Saturday, November 1, 2025

कृष्ण कन्हैया

मटक-मटक भटक चलत कृष्ण कन्हैया।
विजन-विजन धाव चराबे यशोदा की गैया।
धर अधर पर बजाबे बाँसुरी  प्यारी।
मधुर-मधुर धुन धनक छेङे मुरारी।
झनक-झनक पैजनी बजत नाचे कन्हैया। 
रिझत-रिझत मन ही हंसत यशोमती मैया।
थपक-थपक थपकी देवत कान्हा सुलाबे।
हलस-हलस विहस-विहस मधुर धुन गाबे।
झपक झपक झपक ऊंघत मातु अति भोरी।
रहस रहस रहस विहस गाबत लोरी।
लपक-लपक चलत कृष्ण निंदिया न आबे।
झटक झटक  चल घूमत द्वार पर  धाबे।
 छमक-छमक छमक कान्हा हाथ छुङाबे।



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