देखो लोगों कितना सुंदर, शंकर का दरबार है।
चमचम मानिक व मोतियों का, लटका बंदनवार है।।
देखो लोगों........
गले शिव के सर्प की माला, त्रिशूल शोभे हाथ है।
फूल औ बेलपत्र चढ़ा है, चंदन कुमकुम माथ है।
मस्तक पर चन्द्रमा विराजे,जटा में गंग -धार है।।
चम-चम मानिक-मोतियों.............
भोग लगा है भांग-धथूरा, सुंदर सोने - थाल में।
बोल रहे सब हर-हर, बम-बम,एक सुर और ताल में।
भेद-भाव मन में ना कोई,हम सब शिव परिवार हैं।
चम-चम मानिक-मोतियों...............
नित्य यहांँ पर भक्त-लोग मिल, करते वंदन गान हैं।
ताल मिलाकर पूजन-अर्चन,करते एक समान हैं।
गाते सब मिल मंगल -वंदन, करते जय जयकार हैं।
चम-चम मानिक-मोतियों.................
ध्यान लगाकर जो जन आते, शंकर के दरबार में।
मनचाहा वर वे हैं पाते, शिव से पहली बार में।
शिव-शंकर हैं औढरदानी, महिमा बड़ी अपार है।
चम-चम मानिक-मोतियों............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
No comments:
Post a Comment