Sunday, December 18, 2022

कल हाथ पकड़ना मेरा (कविता)

कल हाथ पकड़ना मेरा

चलो सड़क मैं  पार करा दूंँ।
साथ चल विद्यालय पहुंचा दूँ।।
लाठी टेक मैं अब चलता हूंँ।
इसके बिन चलने से डरता हूंँ।।
तुझे अकेला छोड़ ना सकता।
पोता तुझसे मुख मोड़ सकता।।
आज तुम्हारा मैं हाथ पकड़ता।
कसकर मैं मुट्ठी में हूंँ जकड़ता।। 
विद्यालय का यह लम्बा रास्ता।
ऊपर से पीठ पर भारी बस्ता।।
कल ज्यादा मैं बूढ़ा हो जाऊँ।
लम्बी सड़क पर चल ना पाऊँ।।
इस तरह हाथ पकड़ना तू मेरा।
घुमा-फिरा ,वापस लाना डेरा।।
इस जीवन का भी चक्र यही है।
बच्चा-बूढ़ा बनाना क्रम सही है।। 
            सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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