पुजनियां मां
सादर चरणस्पर्श
मां ! आशीर्वाद एवं शिक्षाओं से भरी तुम्हारी चिट्ठी मिली। तुम्हारी और पापा की तबियत अच्छी है यह जानकर काफी खुशी हुई।सभी भतीजे-भतीजियां अच्छे से पढ़ाई कर रहे हैं। यह तो और भी अच्छी बात है। मां तुमने लिखा है कि तुम्हारी एक भाभी मायका गयी और एक की तबीयत खराब है इसलिए सेवा-सुश्रुषा में कमी आ गयी। यइस बात से यही पता चलता है कि उनके रहने और स्वस्थ्य रहने पर तुम्हारी खूब सेवा होती है।यह तो कितनी अच्छी बात है मां! लेकिन मां !मैं देखती हूं तुम्हें नास्ते- खाना देने में उनलोग से पल भर भी देर होती है तो तुम नाराज़ हो जाती हो। मां मैं यही कहूंगी कि उनलोग का भी जीवन है ,मन है । कभी- कभी देर सवेर होती ही है।तन -मन है । कभी- कभी आलस्य भी होता है।इसके लिए नाराज नहीं हुआ करो मां।जिस प्रकार हम बेटियों की गलतियां नजर अंदाज करती हो उसी तरह उन्हें भी माफ किया करो। मां जब मैं तुम्हें अपनी सासु मां के बारे में कुछ बोलती हूं तो तुम समझाती हो कि वह भी मेरी तरह तुम्हारी मां हैं।उनकी बातों का बुरा नहीं मानो और उनका ख्याल रखो।सदा सुखी रहोगी।
उसी प्रकार मैं भी कहती हूं मां!कि तुम्हारी बहुऐं भी हमारी तरह तुम्हारी बेटियां हैं। उनसे नाराजगी छोड़कर उन्हें माफ किया करो मां ! मन को सुख एवं संतुष्टि मिलेगी।
पापा को प्रणाम एवं भाइयों भाभियों तथा भतीजे-भतीजियों को ढेर सारा आशीर्वाद।
तुम्हारी बेटी, सुजाता
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०२ -१२ -२०२१) को
'हमारी हिन्दी'(चर्चा अंक-४२६६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर