Friday, July 5, 2019

पुकार किताब की

आओ बच्चों!मेरे कुछ,
      पन्नों को तुम भी पढ़ लो।
ग्यान के स्वर्णिम भूषण से,
       जीवन को तुम मढ़ लो।
मुझको पढ़कर सारे प्राणि,
        हो जाते हैं पंडित ग्यानी।
मुझमें देखो रची हुई है,
       संतों की सब मीठी वाणी।
वेद,पुराण,उपनिषद गीता,
         सभी  हैं  मेरे  ही रूप।
रामायण,गुरुग्रंथ साहिबा,
         वाईविल , कुरान , अनूप।
हर विषय का ले लो हमसे,
           तुम हर तरह का ग्यान।
राजनीति, भूगोल,गणित हो,
            चाहे साहित्य विग्यान।
मेरे विस्तृत सीने में है,
           छिपे हुए अनेकों राज।
कैसे किसनेे सत्ता पायी,
            कैसे  पाया है  ताज।
वर्तमान- भूत की सभी कथा,
             मुझमें   ही अंकित है।
दुनियाँ भर की सभी कला,
              मुझमें ही संचित है।

                     सुजाता प्रिय

16 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07 -07-2019) को "जिन खोजा तिन पाईंयाँ " (चर्चा अंक- 3389) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….
    अनीता सैनी

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    1. जी नमस्ते अनीता बहन ।मेरी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा जिन खोजा तिन पाईंयाँ चर्चाअंक में करने के लिए सादर धन्यबाद।साभार।

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  2. किताब का पुरा इतिहास संजोये बहुत सुंदर प्रस्तुति सखी।
    अप्रतिम।

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    1. धन्यबाद सखी।उत्साह बढ़ाने के लिए। आभार।

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ८ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  5. मेरी रचना को साझा करने के लिए धन्यबाद श्वेता।सस्नेह।

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  6. वाह!!बहुत सुंदर रचना !

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    1. धन्यबाद शुभा बहन।

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  7. बहुत सुंदर रचना सुजाता जी

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद अनुराधा जी। सादर

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  8. सही कहा किताबें ही ज्ञान का भंडार हैं ...
    बहुत ही सुन्दर...।

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    1. जी सुधा बहन धन्यबाद।

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  9. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सखी
    सादर

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  10. धन्यबाद सखी ।आभारी हूँ।

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