Thursday, October 26, 2023

अनुराग (सवैया)

अनुराग (सवैया)

जो मन में अनुराग धरो तुम 
                 चाहत जो तुमको वह पाओ।
जो मन चाह रहा उसको अब 
                 पाकर संग खुशी अपनाओ।।
रे मन मौज करो न अभी तुम 
                 जाकर आज यही समझाओ।
जाग अभी तुम ऐ मन मूरख
                 सोबत हो अब नींद भगाओ।।

जो मन ने तुमको समझा यह 
                     बात वही सच है यह जानो।
उद्यम जो करते जुगती कर
                   सिद्ध करें सब कारज जानो।।
सोच मनोरथ पूर्ण करे वह 
                       साधन तो उसने यह मानो।
ध्यान रहे जिसके मन में यह 
                       ले अनुराग लगा यह मानो।।
            सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Wednesday, October 25, 2023

दशहरा

जय माता दुर्गा जया
विजय दिला विजया


दशहरा (मनहरण घनाक्षरी )

बुरा पर अच्छाई की।
     झूठ पर सच्चाई की।
          हार पर विजय की।
                जीत है दशहरा।

दुर्गुण पर गुण की।
      अधर्म पर धर्म की।
         अज्ञान पर ज्ञान की।
                जीत है दशहरा।

घृणा पर सप्रेम की।
      विषम पर सम की।
        दुख पर समृद्धि की।
                जीत है दशहरा।

पापियों पर पुण्य की।
      छलावे पर क्षमा की।
        क्रोधियों पर शांति की।
                   जीत है दशहरा।

       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Monday, October 23, 2023

जय माँ सिद्धिदात्री

जय मांँ सिद्धिदात्री

जय माता सिद्धिदात्री,आई  तेरे द्वार।
उड़हुल फूलों की बना,लाई हूँं मैं हार।।

मुझको माँ वरदायिनी,दे दो अपना प्यार।
बच्चों को तो चाहिए,माँ का प्यार- दुलार।।

मुझको माता अम्बिके,सिद्धि कर दे प्रदान।
दुष्ट ना आए पास माँ, दो निर्भय का दान।।

सिद्धिदात्री भगवती, सिद्ध करो सब काज।
लिए मनोरथ द्वार मैं,आयी हूँ माँ आज।।

तुझसे माँ विनती करूँ,जोड़ूँ अपने हाथ।
तेरे चरण में अम्बे,झुका रही हूँ माथ।।

शुद्ध रहे अंतःकरण,सुंदर रहे विचार।
मन से हर दुर्भावना ,हर लो सभी विकार।।

हाथ जोड़ हे भगवती,करती हूँ प्रणाम।
पूर्ण कर मनोकामना,पूर्ण करो सब काम।

सब लोग का पाप हरो,कर दे माँ उपकार।
हम भलाई करें सदा,सुखी रहे संसार।

पापी दुराचारी के,हर लो सारे पाप।
सुख और समृद्धि रहे,आये ना संताप।।

      सुजाता प्रिय समृद्धि

Sunday, October 22, 2023

माता महागौरी (सायली छंद)

माता महागौरी (सायली छंद)

जय
माँ महागौरी
गौरवर्ण का रूप
शोभता है
तेरा।

दया
करो माँ
अपने भक्तों पर
कष्ट हरो
मेरा।

वृषभ
पर आरूढ़
हो तुम समस्त 
संसार में
घूमती।

चार
भुजाएंँ हैं
तुम्हारे तुम माँ
अन्नपूर्णा हो
भगवती।

कर
रहे हम
भक्त जन माँ
देख तेरी
आराधना।

सत्य
मन से
नित्य करते हैं
तेरी सेवा
साधना।

माते
निर्मल मन
तुम्हारा है अम्बे
तुम बड़ी 
करुणामयी

पूर्ण
करती हो
मनोकामना मांँ तू
है बड़ी 
ममतामई 

प्राणी
जन के
दूर करती हो
सभी पाप
माँ।

दिल 
से तुमको
जो भी पुकारे
हरती संताप
माँ।

सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, October 21, 2023

माता कालरात्रि (विजात छंद)

माता कालरात्रि (विजात छंद)

भयानक रूप धरकर माँ।
गदह का पीठ चढ़ाकर माँ।
पधारीं आज सब देखो।
नजर चरणा सभी लेखो।।

कहाती काल रात्रि माँ।
शुभानी वर प्रदात्री माँ।।
गले नर मुण्ड की माला।
वदन पूरा लगे काला।।

बिखेरी बाल मुखड़े पर।
डरे सब लोग देखे सर।।
उगलती आग सांसों से।
गरम वायु उच्छवासों से।।

लगाओ भोग गुड़ का जब।
खुशी से झूमती माँ तब।।
सभी को वर बहुत देती।
सभी संताप हर लेती।।

  सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, October 20, 2023

जय माता कात्यायनी



जय माता कात्यायनी ( विजया घनाक्षरी)

जय माता कात्यायनी,
शीघ्र हो फलदायिनी,
दुर्गा का षष्ठम रूप 
भक्त जनों को है भायी।

महिमा तेरी अनूप,
समझे न देवा- भूप,
ले कर बालिका रूप,
कात्यायन घर आयी।

है चार भुजाओं वाली,
ले कमल फूलों वाली 
कात्यायन की बिटिया,
कात्यायनी कहलायी।

आया है कैसा संयोग 
लगाओ मधु का भोग 
होबे नहीं चर्मरोग,
माता को बहुत भायी।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

स्कंदमाता (मतगयंद सवैया)

पंचम रूप स्कंदमाता (मतगयंद सवैया)
२११ २११ २११ २११ २११ २११ २११ २२

आज लगे धरती यह सुंदर होबत है जग में जगराता।
पंचम रूप धरी जननी जग में कहते इनको जगमाता।
मात रची तुम सृष्टि सजाकर जीव सभी जनको यह भाता।
नाम जपे जग में सब लोग यहां कहते इनको जय माता।
            सुजाता प्रिय 'समृद्धि'