हे सखिया
अब बीतल सावन हे सखिया।
आइलै भादो पावन हे सखिया।
जल्दी से केसिया चोटी बना ला।
मथबा में सेनुर-टिकुली लगा ला।
करूँ मेंहदी लगावन हे सखिया।
अब बीतल सावन, हे सखिया।
अब खेतबा में भर गेलै पानी हे।
केयरिया के रंग होलै धानी हे।
होलै धान रोपावन हे सखिया।
अब बीतल सावन हे सखिया।
बचल-खुचल मोरिया रोपु से सखी।
संग मिलके गीतिया गइवै हे सखी।
करूं झूला झूलावन हे सखिया।
अब बीतल सावन हे सखिया।
भादों महीना में भैया जी अइलन।
खोमचा में भर के पेड़ा भी लइलन।
दिन लगे हुस्न से सखियां।
अब बीतल सावन से सखिया।
अइलै भदवा पावन से सखिया।
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
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