राखियां बंधा ला भैया सावन पूर्णिमा,
जीया तू लाख बरीस जी।
तोहरा के लागे भैया हमरी उमरिया,
बहनी के इहे अशीष जी।
जुग-जुग बढ़े भैया तोहरी उमरिया,
भौजी के बढ़े अहिबात जी।
दिन दुगुना बढ़े,पहर तिगुना,
चारी गुणा बढ़े तोहर रात जी।
बारह महीना के साल सबके है,
तोहर महीना होबे तीस जी।
राखिया बंधा ला भैया..........
दिन-दिन बढ़े भैया तोहरी दौलतिया,
देखि कर मन हुलसाय जी।
बडढ़े तोर घरबा में कोठा-अटरिया,
देखी कर हृदा जुड़ाय जी।
परसन मन रहे सदा तोर भैया,
दिखै तोर दतिया बत्तीस जी।
राखिया बंधा ला भैया...........
सदा खुश रहें मोर भतिजा- भतिजिया,
तिल-तिल बढ़े तोर कूल जी।
दूर-सुदूर तोर नाम बजे अउर,
बगिया में खिले सुख फूल जी।
दुअरा पर शोभे कार-मोटरबा,
सुंदर गाड़िया पच्चीस जी।
रखिया बंधा ला भैया.............
तोहरा के लागे भैया..............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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