Thursday, August 5, 2021

सावनी पुड़िया



रेशमा की सासु मां ने सावनी पुड़िया भेजा है।हरी साड़ी , हरी चूड़ियां सिंदूर-विंदी शृंगार-बांक्स बैगिल-केश और जाने कितने प्रकार के शृंगार -प्रसाधनो से पूरा बैग भरा पड़ा था। लेकिन इसे लेकर आने वाला वह नहीं जिसकी इंतजार वह चार महीने से कर रही थी। जिसके लिए सावनी शृंगार का महत्व था।सारे सामानो को लेकर आए देवर ने सुनाया मां ने महीने भर पहले कह रखा था भैया को आने क्योंकि यह सारे समान लेकर उन्हें आना था ,पर वे नहीं आए।वह उदास हो गई।
मां ने कहा-जा आज अंतिम सोमवारी है। ससुराल से आए कपड़े और चूड़ियां पहन लो।सारे शृंगार भी कर लो।सावन में सोलहो शृंगार करने से सौभाग्य बढ़ता है।वह जानती थी मां ने यह बात कितना दुखी मन से कहा। क्योंकि वह हमेशा मां को यह कहते सुनी थी सावनी पुड़िए का किया शृंगार यदि पति देखता है तो सौभाग्य बहुत बढ़ता है। लेकिन पति तो.....?वह अनमने ढंग से सारे शृंगार कर पूजा करने मंदिर चली गई। सभी जानकार स्त्रियों ने पूछा यह सावनी पुड़िया का शृंगार है ? उसके हां कहने पर सभी ने संदेहास्पद ढंग से देखा और फिर काना-फुसी....तभी उसके हाथ का मोबाइल स्पंदित हुआ और उसमें आए विडियो काल देख उसका मन मयूर ....काल रिसीव करते ही धीरज सम्मुख था।वह मुंह फुलाए उसे देखती रही और धीरज चकित भाव से शृंगारित उसके चेहरे को निहार रहा था। उसके आंखों में उभरे शिकायत को दूर करते हुए बोला-क्या करूं सीमा पर इमरजेंसी ड्यूटी लगी है इसलिए किसी हाल में छुट्टी नहीं ले सकता।बस मेरे द्वारा किया गया सीमा-सुरक्षा ही तुम्हारा असली शृंगार है।
रेशमा ने सहमति में पलकें झपकाई और धीरज को देख मुस्कुरा उठी।
          सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
            स्वरचित, मौलिक

2 comments:

  1. वाह कितनी सुंदर कहानी लिखी आपने सुजाता जी ! हमारे वीर जवानों की ऐसी कहानियाँ मन को ख़ुशी और गर्व से भर जाती हैं |

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  2. जी सखी हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं।

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