अपराजिता
Tuesday, April 1, 2025
जगत जननी जगदम्बा (विधाता छंद आधारित)
›
जगत जननी जगदम्बा विधा -विधाता छंद जगत जननी सुनो विनती,तिहारे द्वार आई हूँ। चमेली फूल की अम्बे, बनाकर हार लाई हूंँ।। उठाकर हाथ से माता,गले...
Tuesday, March 25, 2025
अंतिम प्रतिक्षा
›
अंतिम प्रतीक्षा मोबाइल से कहती थी माँ मैं आ रही हूँ। पहुंचती थी जब भी नहा-धोकर इंतजार करती मिलती थी माँ। खबर आया माँ नहीं रही। मैंने कहा ...
Wednesday, March 19, 2025
स्वर्ण - विहान
›
हुआ सवेरा, छटा अँधेरा आया स्वर्ण- विहान। नीड़ में सोयी चिड़िया जागी, गायी स्वागत- गान। रंग - बिरंगे फूल खिलें है, मुख ...
6 comments:
Saturday, March 15, 2025
वृद्ध दिवस
›
जय माँ शारदे 🙏🙏 वृद्ध-दिवस (लघुकथा) "कोई है "? "बहू......" "बेटी सुधी ..." "जरा मेरी करवट तो बदल दो ।...
Sunday, March 9, 2025
हिंसक पर विश्वास नहीं
›
एक बार जंगल की राह में। एक बाघ था बंद पिंजरे में। राहगीरों को रोकर कहता। खोल दो कोई पिंजरा मेरा। बहुत दिनों से मैं हूँ भूखा। बिन खाये-ह...
2 comments:
Friday, March 7, 2025
होली गीत
›
जय माँ शारदे 🙏 🙏 होली गीत होलास्टक हेतु मंद-मंद समीर चलत हैं, फूल खिले कचनार सखी री ! २ फूल -फूल पर भौर उड़त हैं, बीतत फागुन मास सखी री!...
6 comments:
Thursday, March 6, 2025
संस्कार (लघुकथा)
›
जय माँ शारदे 🙏🙏 संस्कार (लघुकथा) मन बहुत घबराता है सिम्मी की......! काहे खातिर.........? तुम तो कुछ समझती ही नहीं। अरे हमारी बेटियांँ ज...
2 comments:
›
Home
View web version