Friday, March 31, 2023

झूठी मूरत

क्यों इठलाता अपनी सूरत पर।
झूठे जग की झूठी मूरत पर।।
सुंदर ना होता सूरत वाला ।
तरकशा-गोरा मूरत वाला।।
जिस मानव का मन है सुंदर।
उस मानव का तन है सुंदर।।
प्रेम बिना यह तन है सूना।
 सुगंध बिना जैसे प्रसूना।।
 दिल तेरा है यंत्र संचालित।
 द्वेष- घृणा तुम करते हो नित।।
 आंखें पाकर भी हो अंधे।
बुरी निगाह कहीं डालो बंदे।।
कंठ तुम्हारा गंदी खोली।
जिससे ना निकले अच्छी बोली।।
बहरे हो कानों के रहते।
कहने वाले से विपरीत सुनते।।
हाथ -पाँव का लुला-लंगड़ा।
आंवलाओं से करता झगड़ा।।

Tuesday, March 28, 2023

माँ अम्बिके गीत

मांँ अंबिके गीत 

नवरात्रि में नौ रूप धरकर,आती है मांँ अंबिके।
भक्तों को वरदान से,भर जाती है मांँ अंबिके।

प्रथम दिवस मांँ शैलपुत्री,द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी।
तृतीय दिवस में चंद्रघंटा बन आती है मांँ अंबिके।
आयुर्विद्या सुख-समृद्धि दे जाती हैं मांँ अंबिके।
भक्तों को वरदान..............
चतुर्थ दिवस मांँ कुष्मांडा,पंचम दिवस स्कंदमाता।
षष्ठम दिवस कात्यायनी बन आती है मांँ अंबिके।
सुयश-सुबुद्धि-विवेक हम में भर जाती हैं मांँ अंबिके।
भक्तों को वरदान.........
सप्तम दिवस माँ कालरात्रि,अष्टम दिवस महागौरी ।
 नवम दिवस में सिद्धीदात्री बन आती है मांँ अंबिके।
विघ्न-बाधा,रोग-शोक हर जातीं हैं
माँ अम्बिके।
भक्तों को वरदान.........
 सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, March 25, 2023

माँ दुर्गा (धनुष वर्णाकार पिरामिड )

माँ दुर्गा जगतारिणी 
माँ 
दुर्गा
आईं हैं
आज मेरे
आँगन देखो।
चरण कमल
में शीश नवाओ 
चरणों को पखारो 
औ आरती गाओ
माँ हमें देंगी
आशीर्वाद
रहने
सुख
से।

माँ
अम्बे
सबको
सुख देती
सुख करनी
संकट हरनी
हैं माता जगदम्बे 
हैं कष्ट निवारणी
दुख उवारिनी
जगतारिणी 
भक्त जन
आकर
वर
लो।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

सूरज (वर्ण पिरामिड)

सूरज (वर्ण पिरामिड)

देखो
सूरज
हैं निकले
पूर्व दिशा में
दूर - दूर तक
देख लालिमा छाई।
वो
मंद
हंँसी से
मुस्काते हैं 
हौले से वहांँ
जैसे जाग कर 
अभी ली अंगड़ाई ।
कह
रहे हैं 
हंँस कर 
तुम भी जागो
क्यों सोई हो तुम
अब भी अलसायी।
तू
देखो
आकर
काली रैना 
बीत गई है
दिशा दिशा अब
अति खुशियांँ छाई।
हे
सूर्य
देवता
है आपको
अभिनंदन
आपसे धरती
अब जगमगायी।
दें
अब
सबको
आशीर्वाद
बस इतना
सदा सदा तक
हो जन सुखदाई।
      
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, March 18, 2023

चित्राधारित रचना

प्राकृतिक सजावट

प्रकृति ने कितना सुंदर सजाया बंदनवार।
सुंदर फूलों की लटकी लरियांँ है हजार।
प्राकृतिक धागों में गुंथ सजाये हैं बाग।
जिसे देख सभी के मन में होता अनुराग।
इतने सुन्दर देख नजारे मालाकार शरमाये।
कैसे गूथा है फूलों को इसे समझ ना पाये।
अहा प्रकृति की है रचना बड़ी निराली।
स्वयं सुंदर फूल खिलाता स्वयं बनता माली।
             सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, March 14, 2023

तू आराध्य तू है ईश तू

तू आराध्य है ईश तू

भगवान तू  ही  है ईश तू।
जगन्नाथ तुम जगदीश तू।
महामना महान महीष तू।
देते सभी को आशीष  तू

चलाते तुम ही जहान को।
पाताल-मही आसमान को।
सुनते सभी के तू अान को।
रखते सभी के तू शान को।

तुम सबके पालन हार हो।
करूणा के तुम अवतार हो।
तुम ही  नाव खेवन हार हो।
दुखियों के तुम ही पुकार हो।

       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Thursday, March 9, 2023

धूम्रपान ना कीजिए

धूम्रपान न कीजिए

धुम्रपान ना कीजिए,बात मानिए आप।
तन-मन यह जलाएगा,देगा उर संताप।।

धुम्रपान जो हैं करते,खाते जीवन में मात।
हाथ मलते जीवन भर,जो ना माने बात।।

धूएं के सेवन करे,दिल को देते रोग।
जीवन करे धुआं-धुआं,यह कैसा है भोग।।

बीड़ी सिगरेट हुक्का, पीकर देते जान।
धूं-धूं कर सीना जले, इसमें कैसी शान।।

छोटी-सी यह जिदंगी,मत कर तू बर्बाद।
धूएं से परहेज़ कर, जीवन कर आवाद।।
             सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, March 3, 2023

उपवन (काव्य )



उपवन 

छोटे-छोटे पेड़ लगे हैं,मेरे छोटे उपवन में।
रंग-बिरंगे पुष्प खिले हैं,मेरे छोटे उपवन में।

यहांँ बैठ कर प्यारी चिड़ियांँ, चहक-चहक कर गाती हैं।
यहांँ बैठकर काली कोयल,पंचम राग सुनाती है।
सुन सबका मन झूम उठता,उसके मीठे गायन में।
रंग-विरंगे पुष्प खिले हैं..........
यहांँ फूलों पर रंगीन तितलियांँ बैठती-उड़ जाती हैं।
सुंदर फूलों के रस चूसने, मधुमक्खियाँं मडराती हैं।
भौंरे मीठा गाना गाते, बीन बजा अपनी धुन में।
रंग-बिरंगे पुष्प खिले हैं..............
स्वच्छ-शीतल-मधुर बयार के, झोंके यहाँ से आते हैं।
भीनी भीनी फूलों की खुशबू, अपने संग में लाती हैं।
हृदय प्रफुल्लित सदा ही रहता, अपने नंदन-कानन में।
रंग-बिरंगे पुष्प खिले हैं.........
गिलहरी और खरगोश घूमते नन्हें- नन्हें पांवों से।
मीठी-मीठी नींद लेते हैं,सुस्ताते हैं छावों में।
उन्हें देख सुख बहुत ही होता,मेरे चंचल चितवन में।
रंग-बिरंगे पुष्प खिले हैं...........

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Thursday, March 2, 2023

रंगों का त्यौहार ( दोहे )

रंगों का त्यौहार (दोहे)

आया देख  प्यार भरा, रंगो  का  त्योहार।
लाया अपने संग में,खुशियांँ देख अपार।।

रंगो  का त्यौहार  है,नए  साल  का फाग।
रंग लगाकर प्यार  से , गाओ सुंदर राग।।

उमंग छाया हर दिशा,खुशियाँ है सब ओर।
दिवस बहुत प्यारा लगे, लगता सुंदर भोर।।

रंगों   से  हैं  शोभते ,  सबके  सुंदर  गाल।
बस चुटकी भर रंग का,ऐसा दिखे कमाल।।

सबसे  सुंदर  रंग  हैं , नीला- पीला- लाल।
हरा रंग  का  शोभता, मुखड़े लगा गुलाल।।

लाल - पीला रंग मिला , बना केसरी रंग।
हौले - हौले हाथ से, लगा सखी के अंग।।

भर पिचकारी रंग से, लेकर अपने हाथ।
खेलें होली प्यार से, सब संगी के साथ।।
         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'