प्राकृतिक सजावट
प्रकृति ने कितना सुंदर सजाया बंदनवार।
सुंदर फूलों की लटकी लरियांँ है हजार।
प्राकृतिक धागों में गुंथ सजाये हैं बाग।
जिसे देख सभी के मन में होता अनुराग।
इतने सुन्दर देख नजारे मालाकार शरमाये।
कैसे गूथा है फूलों को इसे समझ ना पाये।
अहा प्रकृति की है रचना बड़ी निराली।
स्वयं सुंदर फूल खिलाता स्वयं बनता माली।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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