मांँ अंबिके गीत
नवरात्रि में नौ रूप धरकर,आती है मांँ अंबिके।
भक्तों को वरदान से,भर जाती है मांँ अंबिके।
प्रथम दिवस मांँ शैलपुत्री,द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी।
तृतीय दिवस में चंद्रघंटा बन आती है मांँ अंबिके।
आयुर्विद्या सुख-समृद्धि दे जाती हैं मांँ अंबिके।
भक्तों को वरदान..............
चतुर्थ दिवस मांँ कुष्मांडा,पंचम दिवस स्कंदमाता।
षष्ठम दिवस कात्यायनी बन आती है मांँ अंबिके।
सुयश-सुबुद्धि-विवेक हम में भर जाती हैं मांँ अंबिके।
भक्तों को वरदान.........
सप्तम दिवस माँ कालरात्रि,अष्टम दिवस महागौरी ।
नवम दिवस में सिद्धीदात्री बन आती है मांँ अंबिके।
विघ्न-बाधा,रोग-शोक हर जातीं हैं
माँ अम्बिके।
भक्तों को वरदान.........
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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