तू आराध्य है ईश तू
भगवान तू ही है ईश तू।
जगन्नाथ तुम जगदीश तू।
महामना महान महीष तू।
देते सभी को आशीष तू
चलाते तुम ही जहान को।
पाताल-मही आसमान को।
सुनते सभी के तू अान को।
रखते सभी के तू शान को।
तुम सबके पालन हार हो।
करूणा के तुम अवतार हो।
तुम ही नाव खेवन हार हो।
दुखियों के तुम ही पुकार हो।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (16-3-23} को "पसरी धवल उजास" (चर्चा अंक 4647) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
चलाते तुम ही जहान को।
ReplyDeleteपाताल-मही आसमान को।
वाह!!!
बहुत सुंदर उपासना।
सुंदर प्रार्थना
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