धूम्रपान न कीजिए
धुम्रपान ना कीजिए,बात मानिए आप।
तन-मन यह जलाएगा,देगा उर संताप।।
धुम्रपान जो हैं करते,खाते जीवन में मात।
हाथ मलते जीवन भर,जो ना माने बात।।
धूएं के सेवन करे,दिल को देते रोग।
जीवन करे धुआं-धुआं,यह कैसा है भोग।।
बीड़ी सिगरेट हुक्का, पीकर देते जान।
धूं-धूं कर सीना जले, इसमें कैसी शान।।
छोटी-सी यह जिदंगी,मत कर तू बर्बाद।
धूएं से परहेज़ कर, जीवन कर आवाद।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
पावन पर्व की अशेष शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद भाई!
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