रचे हम गीत कुछ ऐसे, ज़माना झूम कर गाये।
वचन-मन-कर्म से खुश हो,तराना झूम कर गाये।
सभी साहित्य मणीषियों को,खुशी के पल मुबारक हो,
खुशी का गान यह सुंदर,सुहाना झूम कर गाये।
सफर यह पांच वर्षों का, मुबारक हो, मुबारक हो,
जो रचते आए हम दोहा,पुराना झूम कर गाये।
मिलाकर हाथ को अपने,गले सबको लगाएं हम,
सभी हो मस्त-मनमौजी, दीवाना झूम कर गाये।
सुभग उल्लास है उर में,जिगर में बहार है छाई,
नहीं है खुशी का कोई, ठिकाना झूम कर गाये।
खुशी की राग पर झूमें, उमंग के ताल पर नाचे,
खुशी की तान है कोमल, सुहाना झूम कर गाये।
बड़ी मुद्दत से आया है,समय संग-संग बिताने का,
कर उत्सव मनाने का, बहाना झूम कर गाये।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक