शिव पार्वती ( चौपाई )
बैठीे शिव-संग पार्वती माँ।
हरती सबकी मूढ़ मती मांँ।।
हाथ जोड़कर भक्त खड़े हैं ।
नतमस्तक ले आस खड़े हैं।।
हे शिव-शंकर हे बम भोला।
आज आइए मेरे टोला।।
जग प्राणी के कष्ट मिटाने।
जग से सब संताप हटाने।।
त्राहिमाम करता जग सारा।
चहुं ओर फैला अँंधियारा।।
हर-हर-हर भोले त्रिपुरारी।
सब संकट तुम हरो हमारी।।
दया करो तुम हे नागेश्वर।
हे शिव-शंकर, हे परमेश्वर।।
आती जग में विपदा भारी।
त्रस्त है जिससे दुनिया सारी।।
पीकर तूने विष का प्याला।
सारे जग का बन रखवाला।।
आज नाथ तू हमें बचा लो।
सारे दुख को दूर भगा दो।।
जमा करो अपराध हमारा।
भूल-चूक जो भी हो सारा।।
शिव भोले कि सुनो भवानी।
सारे जग की तुम हो रानी।
सुनो -सुनो हे शैल-किशोरी।
तुम तो मन की हो अति भोरी।।
चल भक्तों की सुध-बुध लेने।
सुख व समृद्धि उनको देने।।
यह जग है मेरी ही माया।
हमने रची जीव की काया।।
हमें इनकी है रक्षा करना।
इनके सब कष्टों को हरना।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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