जय मैया चंद्रघंटा
भैया चंद्रघंटा का रूप,तेरी महिमा अगम अनूप।
चाहे रंक धनी या भूप,सबको भाए तेरा रूप।
मैया चंद्रघंटा..........
पक्षिप्रवर गरूड़ पर आरूढ़ जग में विचरण करती।
उग्र कोप और रौद्र रूप में सबका चिंतन करती।
अपने भक्तों के अनुरूप,सबको भाये तेरा रूप।
मैया चंद्रघंटा.............
त्रिशूल गदा तुम हाथ में लेकर सबकी रक्षा करती।
जल में ठंडक,आग में गर्मी,तुम ही माता भरती।
विभिन्न रुप में शक्तिरूप,सबको भाये तेरा रूप।
मैया चंद्रघंटा..........
मुझ पर भी तुम दया करो मां,मैं भी तेरी बिटिया।
कभी तो मेरी सुध- बुध लेने, आओ मेरी कुटिया।
तुम हो ममता का स्वरुप,सबको भाये तेरा रूप।
मैया चंद्रघंटा .................
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित
बहुत सुन्दर भजन अम्बे माँ की स्तुति में ।
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