बात बहुत है गूढ़,
पक्षिप्रवर गरूड़,
पर होकर आरूढ़,
माँ चंद्रघंटा घूमतीं।
आतीं हैं घर आँगन,
देतीं हैं सुख-साधन,
आपदा का निवारण,
दुःख सभी का सुनतीं।
करें हम आराधना,
त्रि दिवस उपासना,
शक्ति रूप की साधना,
हो प्रसन्न माँ झूमती।
आद्याशक्ति दुर्गा माता,
जग भर में विख्याता,
शक्ति-संपत्ति दाता,
भक्तों को न भूलती।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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