यशोदा के लाल (मनहरण घनाक्षरी)
मोर मुकुट है माथ,सोने का कंगन हाथ,
तन पीताम्बर गाथ,गले बैजन्ती माल।
गोपियों को है बुलात,बांँसुरी रोज बजाता,
मीठी धुन है सुनाता,बैठ कदम डाल।
गैया को है चराता,और माखन चुराता,
खाता और खिलाता,करता है बबाल।
करता है खटपट, लड़ता है झटपट,
बड़ा ही है नटखट,यशोदा तेरा लाल।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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