Thursday, July 16, 2020

झूला लगा कदम की डाली

झूला लगा कदम की डाली,
झूल रही मैं मधुवन में ।
चलती मधुर-मधुर पुरवाई,
मस्ती छाई तन-मन में।

आया सावन बड़ा सुहावन,
हरियाली छाई।
देख घटा का रूप सलोना,
मन में मैं हरषाई।
नभ की छटा बड़ी मनभावन,
खुशियाँ' लायी जीवन में।
झूला लगा कदम की डाली,
झूल रही मैं मधुवन में।

ओ रे साजन तू भी आजा,
संग-संग हम झूलें।
दोनो मिलकर पेंग बढ़ाकर,
गगन को जा छू लें।
चल अम्बर में विचरण कर लें,
उमंग लेकर चितवन में।
झूला लगा कदम की डाली,
झूल रही मैं मधुवन में।

         सुजाता प्रिय'समृद्धि'
   स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

10 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (१८-०७-२०२०) को 'साधारण जीवन अपनाना' (चर्चा अंक-३७६६) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  2. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी! मेरी रचना को साझा करने के लिए आभार।

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  3. Replies
    1. सादर धन्यबाद आदरणीय

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  4. सुन्दर रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद।

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  5. वाह!सखी ,बहुत सुंदर सृजन ।

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  6. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।

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  7. झुला और साजन से मनुहार | बहुत मनभावन रचना सखी !

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  8. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।

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