पृथ्वी बनी पटरानी,
बनी सारे जगत की ऱानी।
लगती बड़ी ही सुहानी,
बनी सारे जगत की रानी।
हरी मखमल की चोली पहनी।
चुनरी का रंग हुआ धानी,
बनी सारे जगत की रानी।
पृथ्वी बनी---------------
पेड़-पौधों से अंग सजा है।
लताओं की हार बड़ी शानी,
बनी सारे जगत की रानी।
पृथ्वी बनी---------------
ताल-तलैया लबा-लब भरा है।
नदियों में भर गया पानी,
बनी सारे जगत की रानी।
पृथ्वी बनी------------------
मोर,पपीहा वन में नाचे।
चिड़ियाँ बोले मीठी वाणी,
बनी सारे जगत की रानी।
पृथ्वी बनी---------------
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 20 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर नमस्कार दीदीजी।मेरी रचना को पाँच लिकों के आनंद में साझा करने के लिए हार्दिक आभार।
ReplyDeleteवर्षा ऋतू का खूब खाका खींचा है सखी | सच में हरीतिमा युक्त धरा किसी महारानी पटरानी से कम थोड़े ना है ? सस्नेह
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।हार्दिक आभार।
ReplyDeleteहरी मखमल की चोली पहनी।
ReplyDeleteचुनरी का रंग हुआ धानी,
बनी सारे जगत की रानी।
पृथ्वी बनी पटरानी,
मनभावन रचना सखी,सादर नमन
बहुत-बहुत धन्यबाद सखी कामिनी जी।सादर नमन
Deleteसुंदर श्रृंगार किया है आपने धरा का मोहक सृजन।
ReplyDeleteसादर धन्यबाद सखी
Deleteसादर धन्यबाद सखी।
ReplyDeleteबहुत ही मनभावन लाजवाब गीत रचा है आपने पृथ्वी पर...
ReplyDeleteवाह!!!
आभार आपका सखी सुधा जी! सादर नमन
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