Monday, March 9, 2020

आज सखी खेलें होली

चलो आज सखी खोलें होली ,मिलजुलकर।
मिलजुलकर आज खेलें होली, मिलजुलकर।

           प्रेम-भाव के जामा पहने,
   .      सद्भावों के पहनकर गहने,
  प्रीत की पहन चुनर-चोली, मिलजुलकर ।
मिलजुलकर आज खेलें होली, मिलजुलकर।

        प्यार के रंग से भर पिचकारी।
          सराबोर करें दुनियाँ सारी।
  एकरूपता की बनाएँ टोली,मिलजुलकर।
मिलजुलकर आज खेलें होली, मिलजुलकर।

           सुविचारों के गुलाल लगायें।
          सद्व्यवहारों की सुगंध फैलाएँ।
    बोलेंं मीठी - मधुर बोली ,मिलजुलकर।
मिलजुलकर आज खेलें होली, मिलजुलकर।

           प्रीत से बनाएँ जग रंगीला।
           छटा सुनहरी नीला-पीला।
   खुशियों से भर लें झोली, मिलजुलकर।
मिलजुलकर आज खेलें होली, मिलजुलकर।
                   सुजाता प्रिय

9 comments:

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 10 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. जी दीदीजी सादर धन्यबाद।होली 'की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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  4. वाह!!!
    बहुत सुन्दर...
    होली की शुभकामनाएं।

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  5. सादर धन्यबाद सखी।आपको भी सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  6. वाह! सखी सुजाता जी, सद्भावनाओं की ये होली सबको मुबारक हो निश्छल मन से लिखी गयी प्यारी सी रचना । 👌👌👌👌बहुत बहुत शुभकामनायें ३💐💐💐

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    1. प्रिय सखी रेणु जी सादर आभार।आपको मेरी यह रचना पसंद आएगी पता था क्यों कि मेल-मिलाप की भावनाओं की कायल आप भी हैं।बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।

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  7. बहुत सुंदर रचना सखी ,सादर स्नेह

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी कामिनी जी।सादर नमन।

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