Thursday, September 18, 2025

अम्बे माँ की चुनरिया

लहर -लहर लहराए रे अम्बे माँ की चुनरिया।
मैया की चुनरी में गोटा लगा है,हाँ गोटा लगा है।
मोती की लरियांँ सजाओ रे अम्बे माँ.........
मैया की चुनरी में सितारा जड़ा है,हाँ सितारा जड़ा है।
लड़का भी उसमें बिठाओ रे, अम्बे माँ........
मैया की चुनरी में मोती लगा है,हाँ मोती लगा है,
घुंघरू भी उसमें लगाओ रे, अम्बे माँ.........
मैया की चुनरी में प्रेम भरा है, हाँ प्रेम भरा है।
ममता का मिलता छांँव रे, अम्बे माँ............

अम्बे गीत (मैया जी की चुनरी/

मैयाजी की चुनरी हवा में लहराए रे।
जैसे विजयी झंडा गान फहराए रे।
मैया जी की चुनरी........
सोने की सुराही में गंगाजल भरा है।
मैया जी को मधुरस बहुत मन भाए रे।
मैया जी की चुनरी............
सोने की थाली में दाख -छुहारा,
मैया जी को नारियल का भोग बड़ा भाए रे।
मैया जी की चुनरी........
बेली-चमेली का माला बना है,
मैं जी को उड़हुल का फूल बड़ा भाए रे।
मैया जी की चुनरी.......
कंचन थाल कपूर की बाती,
मैया जी को सब मिली आरती उतार रे।
मैया जी की चुनरी ......
मैया बैठी है बाघ के ऊपर,
भक्तों को देख कर बाघ शरमाय रे।
मैया जी की चुनरी..........

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जय अम्बे (मगही गीत)

लेके हमें पूजा के थरिया,अइली अम्बे माँ के दुअरिआ।
रहे ले मैया के बनैया,मैया के भावे ने कोठा-अटरिया।
आज मैया के हई पुजनिया,सांंझ पहर के गेली बजरिया,
मैया ले रैली हरियर अंँगिया, ओढ़े लगी वाली चुनरिया।
हाथ ले लैली चूड़ी-मुनरिया,पांँव ले लैली बिछिया पायलिया।
गले में हरबा लैली हजरिया,कान में झुमका 
नारियल केला भोग लगैली, काजू-किशमिश दाख छोरियां।
चरण में मैया के माथे नवैली,हमरा पर मैया फेरा नजरिया।
        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Wednesday, September 17, 2025

जय अम्बे (मगही गीत)

लेके हमें पूजा के थरिया,अइली अम्बे माँ के दुअरिआ।
रहे ले मैया के बनैया,मैया के भावे ने कोठा-अटरिया।
आज मैया के हई पुजनिया,सांंझ पहर के गेली बजरिया,
मैया ले रैली हरियर अंँगिया, ओढ़े लगी वाली चुनरिया।
हाथ ले लैली चूड़ी-मुनरिया,पांँव ले लैली बिछिया पायलिया।
गले में हरबा लैली हजरिया,कान में झुमका 
नारियल केला भोग लगैली, काजू-किशमिश दाख छोरियां।
चरण में मैया के माथे नवैली,हमरा पर मैया फेरा नजरिया।
        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

माँ दुर्गा जगतारिणी (धनुष वर्णाकार पिरामिड)

माँ 
दुर्गा 
आईं हैं 
आज मेरे 
आँगन देखो 
चरणों में माँ के
सब शीश नवाओ
मंगल आरती गाओ
माँ से सब माँग लो
शुभ आशीर्वाद 
हम सबको 
रख माँ
सुख 
से
माँ
अम्बे 
सबको 
सुख देती 
सुख करनी 
संकट हरनी
हैं माता जगदम्बे 
हेकष्ट निवारिणि 
दुख उबारिणी 
जगतारिणी 
भक्तों को माँ
आज तू
वर
दो।



Tuesday, September 16, 2025

अम्बे गीत (झन झन झंकारें पैजनियां मैया )

झनझन झंकारे पैजानिया मैया की,
    ‌                         झनझन झंकारे ना ।झन......
खन-खन कंगना खनके मैया के
                              खन-खन खनके ना।झन.......
जब मेरी मैया बाग में आती।
फूल खिले भंवरा गुंजारे,
                      मैया को सजाबे संवारे ना।झन......
जब मेरी मैया मंदिर में आती।
घंटी बजा आरती गावे,
                       मैया को भक्त पुकारे ना ।झन.......
जब मेरी मैया पनघट पर आती।
धार बहे दोनों किनारे,
                        मैया के चरण पखारे ना।झन.....
जब मेरी मैया भक्त घर जाती।
मखमल के आसन लगावे,
                         मैया को भोग लगाबे ना।झन....
जब मेरी मैया बालक पास जाती।
झूम-झूम के ताली बजाबे,
                          मैया से आशीष मांँगे ना।झन.....
जब मेरी मैया कन्या पास जाती।
मैया चरणों में झुककर,
                          मैया से सुंदर वर मांँगे ना।झन.....

मांँ अम्बे गीत (आजा आजा माँ)

मन मंदिर से, दिल के घर से,तुझको तेरा भक्त पुकारे।
आजा आजा मांँ ! तुझको तेरा.......
दर्शन दे दो,निर्भय कर दो,कष्ट  हमारे ले लो सारे।
आजा-आजा मांँ! तुझको तेरा.........
फूल बिछाऊंँ मैया राह में तेरी,बेली-चमेली और उड़हुल की।
दाख- छुहारे भोग लगाऊंँ,दीप जलाऊंँ घृत-गुग्गुल की।
भक्ति-भाव से भजन करूंँ मैं,सुर-लय-ताल मिलाकर सारे।
आजा आजा मांँ! तुझको.....
आजा मैया ! शेरोंवाली। भर दो मेरी झोली खाली।
आकर मन अंधकार मिटा दो,हे मांँ दुर्गे ज्योता वाली।
नजर उठाकर देखो मैया ! कब से खड़  हूंँ तेरे द्वारे।
आ जा,आ जा मांँ...........
दया करो तुम हे जगदंबे ! सुन लो मेरी विनती अम्बे
निज भक्तों पर दया तू करती,हे जगजननी ! हे अवलम्बे!
तेरी दया का आस ले दिल में,देख रही हूंँ सपने प्यारे।
आ जा,आजा मांँ


........

Monday, September 15, 2025

माता पटन देवी

माता खोलो न कपाट,          मांँगे बाल -नारी -नर,
    तेरा  भक्त  जोहे  वाट,          मैया सुख का दो वर,
      सारे विघ्न  दो मांँ काट,         धन - सम्पत्ति दो भर
         भक्त   खङे   तेरे  द्वार।         माता  भरो न भंडार। 

पटना की महारानी,              सारे   परिवार साथ,
   पटनदेवी   भवानी,              माता  जोडकर हाथ, 
      तेरी दुनिया दिवानी,               हम  झुकाकर  माथ,
          लाज रखो इस बार।              खङे लगा के कतार। 

 तेरे  नाम  का   नगर,            निर्बुद्धि और  निर्धन,
      किसी को न यहांँ डर,           दुखी-रोगी-मूढ-जन,
          सब  दुख  लेती   हर,            ले विकृत तन - मन,
             माता  कर   उपकार।             कर  रहे  हैं पुकार।

 मेरी विनती है आज,             माता दया का दो दान
      रख माता मेरी लाज,             रखो  सबका  मां मान,
          सब  पूरा करो काज,             कर दो माता कल्याण,
             दो  संकट  से उबार।              दो मांँ जीवन संवार। 
                                    सुजाता प्रिय समृद्घि



अजगर

पथ पर अजगर, सरपट चलकर, 
कर-कर हङबङ,कर-कर सर-सर।

बढ़ अब झटपट, मत कर हट-हट।
रह अब सट-सट,झट चल पथ पर।

चल अब बढ़ चल,डग भर झटझट, 
बढ-बढ डग भर,चल-चल पथ पर।

चल अब डर मत,मत चढ छत पर,. 
इत-उत मत कर बढ़-चल पथ पर। 
              सुजाता प्रिय समृद्धि

Saturday, September 13, 2025

राम-श्याम भजन (सीता संग राम को)

सीता संग राम को मन-मन भजिए।
राधा संग श्याम को मन-मन भजिए।
भज मन राम राम भज मन श्याम-श्याम 
राम -श्याम,राम-श्याम संग संग भजिए।
त्रेता में अवतार लिए राम,
द्वापर में जन्म लिए श्याम, 
कौशिल्या के लाल दशरथ जी के नंदन। 
देवकी के लाल,वसुदेव सुत वंदन। 
कौशिल्या संग दशरथ को मन-मन भजिए।
देवकी संग दशरथ को मन-मन भजिए।
राम संग लक्षमण को मन-मन भजिए ।
श्याम संग बलराम को मन-मन भजिए ।
राम राम राम राम राम राम भजिए ।
श्याम श्याम श्याम श्याम श्याम श्याम भजिए ।
करेंग  उद्धार राम-श्याम,राम श्याम भजिए ।

Thursday, September 11, 2025

अम्बे गीत (जय माँ अम्बे)

जय मांँ अम्बे, जय जगदम्बे,सुन लो विनती आज।
शरण में आई हूंँ।
 मैं तेरी दासी,दर्शन प्यासी, बहुत उदासी आज।
 शरण में आई हूंँ।
कष्ट हरो मांँ भक्त जनों के जीवन आज सुधारो। 
अष्ट भुजा मांँ दुख- सागर से नैया पार उतारो ।
सुनो मांँ नैया पार उतारो ।
सब सुख करनी,सब दुख हरनी उतारो तरणी आज 
शरण में .........
संकट हरणी नाम तुम्हारा,सबके संकट हरती।
महिमा तेरी बड़ी निराली,सबको समृद्ध करती ।
हांँ हांँ मांँ सबको समृद्ध करती।
बिगड़ी बनाओ, पाप मिटाओ, कर दो कृपा आज।
 शरण में............
 तेरे सिवा नहीं कोई मेरा किसके द्वार मैं जाऊंँ।
 हे जगतारणी तू बतला दे,किसको व्यथा सुनाऊँ।
कहो मांँ किसको व्यथा सुनाऊँ।
 सब दुःख हरनी, सब सुख करनी हे कष्टहरनी आज। शरण में आई हूंँ।
जय मांँ अम्बे.......

Wednesday, September 10, 2025

माँ अम्बे गीत (राग काफी )

तेरे द्वार खड़ी हूँ मैया।२
लेकर आस कड़ी हूँ मैया।
तेरे द्वार........
मेरा दुःख तुम दूर करो माँ।
आकर मेरे कष्ट हरो माँ।
तेरे चरण पड़ी हूँ मैया।
लेकर आस..........
तेरे द्वार.................
हे जगदम्बे मुझको उबारो।
नैया मेरी पार उतारो।
भँवर बीच डरी हूँ मैया।
लेकर आस......
तेरे द्वार............
तुम बिन कोई राह न सूझे।
पंथ सभी लगते अनबूझे।
जो मैं राह धरी हूँ मैया।
लेकर आस......
तेरे द्वार............
हे जगजननी मातु भवानी।
तुम -सा कोई नहीं है दानी।
दान से झोली भरी हूँ मैया।
लेकर आस...........
तेरे द्वार........

तेरी चुनरी माँ

तेरी चुनरी मांँ! कि आय हाय तेरी चुनरी माँ।

 तेरी चुनरी लाल मैया,तेरे अंग में शोभे।
तेरी चोली हरी मैया,उसके संग में शोभे।
चमक उसमें शोभे रे,शोभे रे,शोभे,
लगा गोटा मांँ !कि आय हाय लगा गोटा मांँ।
तेरी चुनरी माँ....
तेरे मांग में सिंदूर और टीका शोभे।
तेरे माथे में मैया, तेरी बिंदिया शोभे।
नासिका में शोभे रे,शोभे रे,शोभे
तेरी नथिया माँ! कि आय-हाय तेरा नथिया माँ.....
तेरी चुनरी माँ
तेरे दोनों कानों में, स्वर्ण झुमका शोभे।
तेरे दोनों हाथों में,खनक कंगना शोभे।
तेरे गले में शोभे रे,शोभे रे शोभे बड़ा माला मां
कि आय-हाय...........
तेरे दोनों पांवों में,तेरा पायल शोभे।
तेरे पायल की घूंघरू,रुनुक झुन-झुन बोले
संग उसके बोले रे बाजे रे बोले रे बोले तेरी बिछुआ माँ
कि आय हाय तेरी बिछुआ मां
तेरी चुनरी मांँ

अम्बे गीत (तुम हो कहाँ)

ढूंढ रही तुझे कब से मैं मैया !
तुम हो कहांँ तुम हो कहांँ ।
आकर दर्शन दे दो हे मैया,
तुमहो कहांँ...........
मैं हूंँ मैया दासी तुम्हारी ।
तेरे दरश को फिरूँ मारी-मारी । 
एक झलक दिखला हे मैया 
तुमहो कहांँ.............
 हे मांँ अंबे दया करो अब।
आकर संकट मेरा हरो सब।
दुष्ट जनों से बचा लो हे मैया,
तुम हो कहांँ...............
कलुष मिटा दे मेरे मन से ।
कष्ट हटा दो अब जीवन से।
सच्ची राह दिखा मुझे मैया !
तुम हो कहांँ.............
आलोकित कर मेरा जीवन।
निर्मल मनको हो निरोग रहे मन,
अन्न-धन-जन का वर दो हे मैया!
तुम हो कहांँ

Tuesday, September 9, 2025

माँ दुर्गा जगतारिणी (धनुष वर्णाकार पिरामिड)

माँ 
दुर्गा 
आईं हैं 
आज मेरे 
आँगन देखो 
चरणों में माँ के
सब शीश नवाओ
मंगल आरती गाओ
माँ से सब माँग लो
शुभ आशीर्वाद 
हम सबको 
रख माँ
सुख 
से
माँ
अम्बे 
सबको 
सुख देती 
सुख करनी 
संकट हरनी
हैं माता जगदम्बे 
हेकष्ट निवारिणि 
दुख उबारिणी 
जगतारिणी 
भक्तों को माँ
आज तू
वर
दो।



महाबली हनुमान (हरि गीतिका छंद)

महाबली हनुमान का नित ध्यान सब मिल कीजिए।
 उनके चरणों में शीश रख आशीष भी कुछ लीजिए।।
निज भक्त के संताप को पल में मिटाते हैं प्रभु ।
दुख वेदना हर कर हृदय में सुख-चैन लाते हैं प्रभु।।
माँ अंजनी के पुत्र हैं बल बुद्धि ज्ञान अपार है।
पवन पिता से हैं बली महिमा अपरंपार है।।
शरण इनके जो भी जाता हर लेते उसकी कूमती।
ज्ञान-बुद्धि-विवेक देते भर देते उनमें सुमति।।
श्री राम के दरबार में हैं दूत बनकर राजते ।
निजी कृति से दरवार में मन कर शोभते।
राम की सेवा करते सब लोग के मन मोहिते।
             सुजाता प्रिय समृद्धि 

सरस्वती वंदना (माँ शारदे)

सरस्वती वंदना 
मां शारदे मां शरदे मां शारदे  अज्ञानता से उबार दे।
तेरे शरण में हम हैं आए,लेकर बहुत विश्वास माँ। 
तेरे चरणों में हम सिर नवाएँ, रखकर हृदय में आस माँ।
मेरी मूढ़ता को दूर कर दो, ज्ञान को तू निखार दे।
माँ शारदे......
दिल में विराजे तू सदा, मन में सदा तेरा रूप है।
हर भाव में हर बात में, वाणी में तेरा स्वरूप है।
मन-वचन को मैं स्वच्छ रखूं सुंदर सदा तू विचार दो 
माँ शारदे.......
तेरे धवल वसन और हार जैसा अंत:करण मेरा रहे।
हर जीव की खातिर हृदय में, इंसाफ का डेरा रहे।
हर पूण्य कर्मों को करें हम,इसमें सदा विस्तार दे।
माँ शारदे मां शारदे.....
मेरे जिगरी में माँ सरस्वती,मन में यही है कामना।
पर भ्रष्ट हो जब मन मेरा तब तुम ही मुझको थामना।
कभी भूल से कोई भूल हो तो,से माँ! उसे तू सुधार लें।
माँ शारदे मां शारदे 🙏🙏🙏🙏🙏

माता रानी से विनती (मैया इंसाफ करो)

मैया इंसाफ करो ! मेरी ग़लती माफ करो।
मेरी ग़लती माफ करो,सब मेरा श्राप हरो।
हे माँ अम्बे!जय जगदम्बे,जय जगजननी माता।
हे काली कल्याणी माता, दुःख हरनी सुख दाता।
तू मेरा पाप हरो। मेरी ग़लती........
भूल-चूक मेरी से माता! मन से तुम विसराओ।
मैं दुखियारी,शरण तिहारी, मुझको गले लगाओ।
दिल अपना साफ करो, मेरी ग़लती..........
मेरे मन के कुविचारों को,पर में दूर भगाओ।
सुविचारों और सुकृतियो से,मन मेरा भर जाओ।
मेरा मन संताप हरो,मेरी ग़लती................
कभी किसी से द्वेष नहीं हो,ऐसा हो मन मेरा।
प्रेम और सद्भावना आकर मन में डाले डेरा।
इतना तो आप करो। मेरी ग़लती.....

         सुजाता प्रिय समृद्धि 

ओ शेरोंवाली माँ (अम्बे गीत)

ओ शेरोंवाली माँ !तुझको ढुंढूँ मैं कहाँ?
मेरी विनती है पास मेरे आ जा s s s s
माँ आ के दरस दिखला जा।
ओ शेरोंवाली माँ.......
मैं कब से खड़ी, राहों में तेरी, राहों में तेरी।
माँ तू ही बता,तू कहाँ हो खड़ी,कहाँ हो खड़ी।
वो पहाड़ों वाली माँ! मुझको ढूंढूं मैं कहाँ
मेरी विनती है....
माँ आ के दरस.....
मेरी प्यासी नजर , ढूंढती है इधर,और उधर।
माँ तुम ही बता आती न नजर,न  नजर।
तुमको देखूं मैं कहाँ ? आ जाओ तुम यहांँ।
मेरी विनती है.....
माँ आ के दरस......
तेरी पूजा करूँ, फूलों को चढ़ा,हां माँ हम चढ़ा।
तेरी आरती करूँ, और करूं वंदना, हां वंदना।
तुझको चुनरी ओढ़ा,खूश होऊं मैं यहांँ
मेरी विनती है पास मेरे....
माँ आके .......
चरणों में तेरे, मैं आकर पड़ी,हूँ पड़ी।
वर दे दो मुझे, मैं जिद पर अड़ी हूँ अड़ी।
वर देने वाली माँ, तुझको ढुंढूँ मैं कहाँ?
मेरी विनती है........ 
माँ आके .........
               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

अम्बे गीत (मां तेरे मंदिर में)

भक्त जन करे पुकार ,मांँ तेरी मंदिर में ।
गूंजे जय जय कार मां तेरी मंदिर में।
 मैया के माथे में मुकुट विराजे ।
शोभे बिंदिया लाल मां तेरे माथे में ।
भक्ति जन करे पुकार......
मैया के नाक में नथिया शोभे।
शोभे कुंडल लाल मां तेरे कानों में।
भक्त जन करे पुकार..........
मैया कलाई में चूड़ा शोभे,
 शोभै मुनरी लाल मां तेरी उंगली में।
भक्त जन करे पुकार........
मैया के पांँव में बिछुआ शोभे
शोभे  करता लाल माँ तेरे चरणों में ।
भक्त जन करे पुकार ......
मैया के अंग में चोली शोभे,
शोभे चुनरी लाल माँ तेरे अंगों में 
भक्त जन करे पुकार.......
मैया जी बैठी हैं शेर के ऊपर,
शोभे त्रिशूल ढाल माँ तेरे हाथों में 
भक्त जन करे पुकार.....

जगदम्बे गीत (माँ जगजननी को)

बोल (सौ साल पहले हमें तुमसे प्यार था)

माँ जग जननी को, भक्तों से प्यार था,२
आज भी है और कल भी रहेगा।
निज भक्तों से माँ को, बड़ा ही दुलार था२
आज भी है और कल भी रहेगा।
माँ जगजननी को.......
जो मैया के दर जाता,मांँ उसकी झोली भरती है।
जो दुख और चिंता से व्याकुल, उसका संकट हरती है। शेरों वाली मैया के भक्त हजार थे ।
आज भी है ..........
मांँ के नैनों में देखो, छवि भक्तों की बसी प्यारी ।
मांँ का हर रूप है न्यारा,इसकी ममता है न्यारी ।
मैया जी को बेटों पर सदा ही दुलार था ।
आज भी है............
 सुन विनती मांँ अम्बे हमें बल बुद्धि दो इतनी।
 मैं सबको सुख पहुंचाऊँ सहायता चाहे जो जितनी। 
 युग-युग पहले माँ का,सजा दरबार था।
 आज भी है..............

अम्बे गीत ( मन मंदिर में)

मांँ अम्बे गीत 
मां मंदिर से,दिल के घर से,तुझको तेरा भक्त पुकारे ।आजा-आजा मांँ ! तुझको तेरा भक्त पुकारे।
आजा -आजा माँ .........
 फूल बिछाऊँ माँ राहों में तेरी,बेली-चमेली और उड़हुल की।
दाख -छुहारा भोग लगाऊँ,दीप जलाऊँ,घृत गुंगूल की।
भक्ति -भाव से भजन करूँ मैं,सुर लय ताल मिलाकर न्यारे।
आजा -आजा माँ...........
आजा मैया शेरोंवाली,भर दे मेरी झोली खाली।
आकर मन अंधकार मिटा दे,से माँ दुर्गे,ज्योतावाली।
नज़र उठाकर देखो मैया ! कब से खड़ी हूँ तेरे द्वारे।
आजा -आजा माँ..........
दया करो तुम हे जगदम्बे,सुन लो मेरी विनती अम्बा।
निज भक्तों पर दया तू करती,से जगजननी से अबलमबा।
तेरी दया का इस ले दिल में,देख रही हूँ सपने प्यारे।
आजा -आजा माँ.............
जग का सब संताप मिटा दो,रोग शोक को दूर भगा दो।
हे माँ दुर्गा दुर्गति नाशिनी मन में यह विश्वास जगा दो।
कृपा करो तुम हे माँ अम्बे !कब से खड़ी हूँ शरण तुम्हारे।
आजा -आजा माँ...............

Wednesday, September 3, 2025

शिव शंकर का नाम

जप लो शिव शंकर का नाम 
बनेंगे बिगड़े सारे काम। 
लोटा में गंगाजल भर,शिव को स्नान कराओ।
चंदन-कुमकुम माथ लगाओ तन विभूत लगाओ।
ओढा दो इनको ओs s s s s s s s
ओढा  दो  तन पर तू बाघम्बर, पहना दो मृग चाम। 
जो मन......
बेली चमेली फूल चढ़ाओ,बेलपत्र चढ़ाओ। 
भाग धतुरा तोङ तोङ कर शिव को भोग लगाओ।
और चढ़ाओ ओ s s s s s s s
और चढ़ाओ फल और-मेवा, मिश्री और बादाम 
जपो मन .......
शिव-शंकर हैं औढर दानी सभी जन को वर देते हैं।
जो जन दुख में उन्हें पुकारे,उनका दुख हर लेते हैं।
संकट  में जो ओs s s s s s s
संकट में जो उन्हें पुकारे,लेते उनको थाम।
जपो मन.............
           सुजाता प्रिय  'समृद्धि'




Tuesday, September 2, 2025

प्रणाम (दोहे)

प्रणाम (दोहे )

जिनके मन में प्रेम  है,करते वही प्रणाम। 
बङे जनों को करें,प्रणाम सुबह-शाम।।

प्रणाम सिखाता लोग को,अनुशासन का भाव 
प्रणाम वही जन करते,जिनका सरल स्वभाव। ।
बडों के लिए  जिनके मन में ,हो आदर का भाव ।

प्रणाम देता शीतलता,मिटाता मन का कशोभ।
सम्मान देते लोग को,रखें न मन में लोभ।।

नम्र करते हैं सदा,झुककर सदा प्रणाम। 

शीश नवागुरु जनों को ,सुबह शाम। 
प्रणाम मिटाता है सदा,मन के सारे क्रोध।।
क्मा
क्षमा-भाव आता सदा,मिटता मन प्रतिशोध। ।
प्रणाम टालता है सदा,अंतर का अहंकार। 
प्रणाम वे जन करते,जिनका श्रेष्ठ  विचार। 
प्रणम्य भाव  से दिखता मानव का व्यवहार। 
मन में लाता नम्रता,सभी श्रेष्ठ संस्कार। ।

सुजाता प्रिय समृद्धि

Monday, September 1, 2025

सुबह का भूला

रक्षाबंधन का दिन। रोली अक्षत फल-मिठाइयों के साथ सुंदर राखी रख सुनीता थाली सजा रही है। पड़ोसी सुशील बाबू के द्वारा अपने लिए छोटी बहना का संबोधन और आंखों में स्नेह युक्त प्यार देख सुनीता का मन आत्म-विभोर हो उठता। लेकिन कहीं-न-कहीं उनका चेहरा जाना-पहचाना लगना उसे विचलित कर देता।आखिर कहांँ देखा है उन्हें ? 
बातों-बातों में उनसे ही कह डाला  -"भैया ! ऐसा लगता है कि मैंने कहीं आपको देखा है !" लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया कि वह उसे जानते हैं ।खैर जो हो एक बडे-भाई का प्यार और आशीर्वाद पाकर ही वह धन्य थी। अपने भाई तो उससे छोटे ही थे। उतनी दूर से रक्षाबंधन पर्व में आ भी नहीं सके।
     तभी ममेरे भाई निखिल ने कॉल कर बताया कि तुम्हारी राखी मुझे मिल गई।।कभी वहांँ आउँगा, तो तुम्हारे लिए उपहार लेकर आउँगा। वह ठुनकती हुई बोली -आप मुझे हमेशा यही कहकर तो ठगते हैं । कभी आते तो है नहीं।"
     उन्होंने कहा- "आऊंँगा ! हो सकता है, जल्दी आ जाऊँ। अब तो मेरा दोस्त भी तुम्हारे शहर में रहने लगा । उसके बेटे का विवाह होने वाला है तीन महीने बाद ।"
"कौन दोस्त ?" 
"एक सुशील नाम का दोस्त मेरी शादी में अपनी मांँ के साथ आया हुआ था ।"
नाम सुनते ही सुशील बाबू का चेहरा उसके आंखों के सामने घूम गया। इनके बेटे का विवाह भी तीन महीने बाद है।अब उसे समझ आया की सुशील बाबू का चेहरा उसे जाना-पहचाना क्यों लगता था ।आज से पच्चीस साल पुर्व  उसके ममेरे भाई की शादी में भैया का यह दोस्त अपनी मांँ के साथ आया हुआ था। भैया ने जब उसका परिचय करवाया तो उसने बड़े भाई के दोस्त के नाते उसे नमस्कार किया। परंतु जब-तक वह शादी मे रही, सुशील अजीब-सी प्यास भरी नजरों से उसे देखता रहता।  कभी -भी उन्हें भैया कह कर संबोधित कर लिया तो उसके चेहरे पर नागवारी के भाव स्पष्ट दृष्टिगोचर हुआ दिखता था ।
 शादी खत्म होने पर वह अपने घर आ गई। लेकिन सुशील की नजरों का मैलापन याद कर उसका मन कसैला हो जाता। फिर उसकी भी शादी हो गई और समय के साथ वह उन कड़वाहटों को भूल गई ।
आज वही सुशील उसे भाई का प्यार उड़ेल रहा है। अब वह उसके उन भावों को याद रखें या आज के ? जिन भावों की आकांक्षा वह पच्चीस साल पूर्व सुशील बाबू से करती थी, वह आज प्राप्त हो रहा है।अंत में उसने यह निर्णय किया कि "अतीत की कड़वाहटों को भूल हमें वर्तमान की मृदुलता में जीना चाहिए।" लेकिन उनके उन व्यवहारों को माफ कर देना क्या न्याय-संगत होगा ?  दिल ने कहा -"जाने दो कम- से -कम अब तो समझ आया ।"
     फिर वह सुधीर बाबू को राखी बांँधने के लिए थाल सजाने लगी।
                      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'