कवि और कविता (मनहरण घनाक्षरी)
कविता लिखते कवि,
दिखती है प्यारी छवि,
चमकता जैसे रवि,
सुर-लय-छंद में।
पिरोते भावों के मोती,
दिखा साहित्य की ज्योति,
साहित्य के बीज बोती,
मुक्त स्वर- छंद में।
बनाते माला शब्दों के,
लेखन प्यारे पदों के,
प्यारे औ न्यारे पद्यों के,
कुछ है स्वछंद में।
सजाते कागज की क्यारी,
लिखते कविता प्यारी,
सभी लेखों से न्यारी
सरल वे बंध में
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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