छठ व्रत गीत
चार दिवस के छठे के वरतिया,
चहुं दिशी भरल हुलास छठी मैया,
लोग के मन विश्वास छठी मैया,
पूरन करिहें आस।
पहिला दिवस व्रती नहाय खाय,
गंगआ-जल करें स्नान छठी मैया,
कद्दू -दाल भात खाय ।
दूसर दिवस करें सांझ के खड़नमा,
केला-पात भोग लगावें छठी मैया,
धूप ओ दीप जलाए।
तीसर दिवस देने सांझ के अरगिया,
पग-पग दण्डवत देई छठी मैया,
अस्तगामी सुरुज मनाय।
चौथ दिवस भिनसार अरगिया,
सूप लेके पनिया में ठाढ़ छठी मैया,
उदीयमान से माँगे आशीर्वाद।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर छठ गीत ! केवल चार दिवसों का ही वर्णन क्यों? इस छठ गीत में पांचवें और छठे दिवस पर क्या-क्या किया जाता है, इसका उल्लेख भी तो करो.
ReplyDeleteबहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत शुभकामनाएं
सुंदर छठ गीत। बहुत शुभकामनाएं।
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