फूल भ्रमर गुलशन कली काँटे
उपवन में खिले हुए, सुंदर फूल हजार।
कह रहे सीखो हँसना, धरती कर गुलजार।।
रस लोलुप भ्रमर यहाँ,भुन-भुन गाता गान।
फूल-फूल पर बैठ कर,करता है रसपान।।
गुलशन देख महक रहा, फूल खिले चहुं ओर।
फूलों की खुशबू यहाँ, लेकर आता भोर ।
डाली में सुंदर कली, रही हवा संग डोल।
आगत दिन में मैं यहाँ,खिलूँ पंखुड़ी खोल।
काँटें रक्षा करें सदा,रह फूलों के पास।
काँटों के संग रहते,देते सदा सुवास।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
सुन्दर
ReplyDeleteबेहतरीन दोहे.... 🙏
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