जय मांँ सिद्धिदात्री
जय माता सिद्धिदात्री,आई तेरे द्वार।
उड़हुल फूलों की बना,लाई हूँं मैं हार।।
मुझको माँ वरदायिनी,दे दो अपना प्यार।
बच्चों को तो चाहिए,माँ का प्यार- दुलार।।
मुझको माता अम्बिके,सिद्धि कर दे प्रदान।
दुष्ट ना आए पास माँ, दो निर्भय का दान।।
सिद्धिदात्री भगवती, सिद्ध करो सब काज।
लिए मनोरथ द्वार मैं,आयी हूँ माँ आज।।
तुझसे माँ विनती करूँ,जोड़ूँ अपने हाथ।
तेरे चरण में अम्बे,झुका रही हूँ माथ।।
शुद्ध रहे अंतःकरण,सुंदर रहे विचार।
मन से हर दुर्भावना ,हर लो सभी विकार।।
हाथ जोड़ हे भगवती,करती हूँ प्रणाम।
पूर्ण कर मनोकामना,पूर्ण करो सब काम।
सब लोग का पाप हरो,कर दे माँ उपकार।
हम भलाई करें सदा,सुखी रहे संसार।
पापी दुराचारी के,हर लो सारे पाप।
सुख और समृद्धि रहे,आये ना संताप।।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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