माँ चंद्रघंटा
माँ चंद्रघंटा
धर शांति का रूप
करती रक्षा।
अनुशासन
न्याय कर भक्तों को
देती सुरक्षा।
स्वर्णिम रूप
चढ़ सिंह वाहन
तुम घूमती
धारण कर
लाल वस्त्र भक्तों को
देती सुमति
तीसरा नेत्र
कपाल के बीच में
है विराजता
समदृष्टि से
देख जीवों को लिए
प्रेम साजता
अपने आठ
हाथों में आठ वस्तु
रखती मात
दो हाथों से तू
भक्त जनों को देती
हो आशीर्वाद
सर्वोच्च सुख
संतति शांति और
देती हो ज्ञान ।
संतुष्ट करती
धन-संपत्ति,समृद्धि
कर प्रदान
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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