हे माता ब्रह्मचारिणी, जोडूं अपने हाथ।
मैया सभी झुका रहे, चरणों में अब माथ।
सब भक्तों को भा रहा,तेरा सुंदर रूप।
ममता की तुम हो धनी, दिव्य तेरा स्वरूप।।
हाथ कमण्डलु शोभता, मुखड़े पर है तेज।
स्वेत वासना अम्बिके, रही आशीष भेज।।
ब्रह्माण्ड में विराजती, दया भाव ले साथ।
दुखी जनों के पास जा,सिर पर रखती हाथ।।
लिखें माता की महिमा, प्राचीन साधु-संत।
सर्वव्यापी माता का, नहीं है आदि-अंत।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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