देवों पर श्रद्धा
जिनका मन सोने के दीये
श्रद्धा से भरा होता गाय का घृत डाल
होते महान। कर जलाते।
भगवान को भगवान की
पूजते हैं श्रद्धा से सुमंगली-आरती
करते ध्यान। गुनगुनाते।
गंगा जल से हाथ जोड़ते
देवताओं को सदा शीश को झुकाकर
हैं नहलाते। करें प्रणाम।
रेशमी वस्त्र मानते सदा
फूलों की माला गले ईश के चरणों को
हैं पहनाते। अपना धाम।
ललाट पर देवों के प्रति
चंदन का तिलक हमारे मन में भी
फिर लगाते। श्रद्धा जरूरी।
श्रद्धा से भोग श्रद्धा रखिए
फल मिश्री मेवे का। देव मनोकामना
उन्हें चढ़ाते। करेंगे पूरी।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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