पिता से अमीर
मिले पिताजी का प्यार,
पल में करें दुलार,
जगत में कोई नहीं,
पिता से अमीर है।
पिताजी से ही गांँव है,
पिता सुख की छांव है,
पिता जैसे जीवन की,
बहता समीर है।
पिता सुबह - शाम है,
पिताजी को प्रणाम है,
दिखाते हर दिशा की,
पिता ही लकीर है।
पिता दिखाते राह हैं,
मन में जो भी चाह है,
साथ देने बालकों को,
मन से अधीर हैं।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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