श्याम संग खेलें होली
जलहरण घनाक्षरी,अंत में दो गुरु
श्याम संग खेलें होली।
राधा सखियों से बोली।
आयी सभी हमजोली।
बनी सभी अति भोली।
रंग लाल - लाल डालो।
रंग पीला- पीला डालो।
मिला अंग में लगा लो।
कर लें संग में ठिठोली।
लगा कान्हा को गुलाल।
रंग ललाट व गाल।
किया मुखड़े को लाल।
आयी सखियों की टोली।
आयी कन्हैया की बारी।
भर ली यों पिचकारी।
कान्हा ने जो रंग डारी।
भींगी राधिका की चोली।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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