हम साथ-साथ रहें ( मुक्तक)
भगवान आपके चरणों में झुका हमारा माथ है।
हमारे सिर पर भी वर हेतु उठा आपका हाथ है।
हे भगवान ! आपको हमारा बारम्बार प्रणाम -
आपका ही वरदान से आज हम सब साथ-साथ हैं।
हम सभी हैं साथ-साथ,हम साथ-साथ ही रहें।
साथ-साथ रह दुनिया की अच्छाइयांँ गहें।
हम साथ-साथ खाएंँ-पीएंँ , साथ ही जीयें-
और साथ-साथ मिल सब सुख-दुख को सहें।
एकता का संदेश लेकर साथ आगे बढ़े।
जीवन के सुगम राहों को हम मिलकर गढ़े।
ज़मीं पर सफलता की बनाकर हम सीढ़ियाँं-
आसमां तक हमसब साथ मिलकर ही चढ़ें।
भगवान! आपसे हमको,बस है इतनी आस।
कठिनाइयाँ हमारे जीवन में,कभी न आए पास।
विषमता को सुलझाएँ बस यही विनती है हमारी-
मुश्किल का तम जब भी घिरे लाएँ नया उजास।
सच्चाई की डगर पर स्वामी सदा चलते जाएँ।
हिम्मत से काम लेकर नित आगे बढ़ते जाएँ।
सामना करें हर मुश्किल का इतना दें वरदान-
विषम परिस्थितियों में हमरा मन नहीं घबराए।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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