हम भारत के वीर सिपाही
हम भारत के वीर सिपाही बढ़ते जाएंँगे।
भारत माँ की रक्षा करने लड़ते जाएंँगे।
जिन राहों पर कदम बढाते।
मुसीबतों से हम न घबराते।
जब तक लक्ष्य नहीं पूरे हो-
पीछे लौटकर हम नहीं आते।
लक्ष्य की खातिर नयी राह,
सदा हम गढ़ते जाएंँगे।
हम पर्वत पर चढ़ने वाले।
आसमान से लड़ने वाले।
देश पर कोई नजर न डाले-
इसके हम तो हैं रखवाले।
देश में दुश्मन कदम बढ़ाए,
उससे हम लड़ते जाएगें ।
नदियों की हम धार बदल दें।
बादल की फुहार बदल दें।
बाजू की ताकत से अपनी-
समंदर का उद्गार बदल दें।
सोने की चिड़िया है भारत-
स्वर्ण-श्रृंखला मढ़ते जाएंँगे।
पत्थर को हम मोम बना दें।
अपनी उष्मा से पिघला दें।
मेहनत का हम दीप बनाकर,
प्रेम का उसमें ज्योत जला दें।
हरकर अँधेरे देश को रोशन,
हम सब करते जाएँगे।
हम चाहें संसार बदल दें।
दुनिया की आकार बदल दें।
देश की ऊपर उठने वाले-
दुश्मन की तलवार बदल दें।
काल बनकर सारे दुश्मन से,
हम सब लड़ते जाएँगे।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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