गुरु वंदना
प्रातः उठकर कीजिए,गुरुवर को प्रणाम।
गुरु के चरणों में सदा,बसता गुण का धाम।।
पाकर गुरु-आशीष हम,पाते मन को चैन।
उनके ज्ञान उजास से,खुलता सबका नैन।।
गुरु-ज्ञान ही आज है,जीवन का आधार।
ज्ञान-नौका चढ़ लगता,सबका जीवन पार।।
गुरुजी को ही याद कर,करें प्रारंभ काज।
सफल सदा ही आप हो,सुख से रहे समाज।।
नमन करें कर जोड़ कर,रख मन में सम्मान।
जब आरंभ काम करें,कर लें गुरु का ध्यान।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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