लक्ष्य (गीतिका छंद मुक्तक )
लक्ष्य पाने के लिए तुम, सत्य पथ पर बढ चलो।
राह में पर्वत भी आए,हौसला ले चढ़ चलो ।
दृढ़ता से बढ़ा कदम,भटको नहीं तुम राह में -
राह कोई ना दिखे तो,नव राह तुम गढ़ चलो।
चाह रखो अपने मन में, राह भी मिल जाएगी।
दृढ़ निश्चय मन में रख,चट्टान भी हिल जाएगी।
ठेल कदमों से उसे तुम,दूर कर दो राह से-
पत्थरों पर सफलता की,कलियाँ खिल जाएगी।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
No comments:
Post a Comment