नटखट तितलियांँ
बात बहुत पुरानी है।एक बगीचे में बहुत सारी रंग-बिरंगी तितलियांँ रहतीं थीं।
उन तितलियों में एक रानी तितली थी। जिसकी बातें सभी तितलियांँ मानती थी।
उनमें कुछ नन्हीं-नन्हीं तितलियांँ थीं।उनके पंख अभी छोटे थे।जिस कारण वे अभी उड़ नहीं पाती थी।
नन्हीं तितलियों में कुछ चंचल तितलियांँ थीं, जो पंख छोटे होने पर भी उड़ने का प्रयास करती रहती।
उन चंचल तितलियों में कुछ नटखट तितलियाँ थीं। जो अपने नन्हें-नन्हें पंखों से उड़कर शैतानी करती थी।
उन नटखट तितलियों में एक तितली थी सिम्मी और एक थी रिम्मी। दिन में कभी-कभी बगीचे में घूमते समय दोनों में भेंट हो जाती तो तोतली भाषा में दो चार बातें कर लेती।इस प्रकार दोनों में गहरी दोस्ती हो गई।फिर तो दोनों रोज अपने-अपने घरों से निकलकर बातें करने लगी।एक दिन बातों-बातों में सिम्मी ने रिम्मी से पूछा- रिम्मी यह तो बता हमारी मांँ रोज हमें छोड़ कर कहांँ चली जाती हैं ?
रिमी ने कहा- मेरी मांँ तो मेरे लिए फूलों का रस लाने जाती है। वही सब की मांँ जाती होंगी। सिम्मी ने पूछा यह फूलों का रस मिलता कहांँ है ?
रिम्मी बोली मेरी मांँ कहती है इस बगीचे से थोड़ी दूर एक सुंदर फुलवारी है।जिसमें खूब सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं उन्हीं फूलों का रस चूस कर मांँ हमारे लिए लाती है।
सिम्मी ने कहा -अगर उस फुलवारी का पता हमें चल जाए तो हम स्वयं वहांँ जाकर खूब रस पीएँ।
दोनों ने उस फुलवारी को ढूंढ निकालने की योजना बना डाली। क्योंकि वे अपने कोमल नन्हें पंखों से उड़ना सीख ली थी।
एक दिन चुपके से उड़ते हुए एक ओर चल पड़ी लेकिन उन्हें कोई फुलवारी नहीं मिली।हांँ एक छोटा सा घर जरूर दिखा।उस घर के आगे क्यारियों में कुछ सुंदर फूल खिले थे ।दोनों सहेलियों को बड़ी भूख लगी थी।उन फूलों पर बैठकर वे रस चूसने लगी।तभी घर के अंदर से एक छोटा सा बालक निकला। उसका नाम था शिल्पू।शिल्पू ने जब दोनों लाल-पीली तितलियों को देखा,तो वह उन्हें पकड़ने के लिए आगे बढ़ा।वह दोनों अभी ठीक से उड़ना नहीं जानती थी, इसलिए भाग नहीं पाईं और शिल्पू ने उसे आसानी से पकड़ लिया।
दोनों तितलियां भागने के लिए छटपटाती रहीं और शिल्पू उनके पंख पकड़ कर उनसे खेलता रहा।
दोनों तितलियां को अपनी- अपनी मांँ की याद आने लगी।अब उन्हें समझ में आ गया था कि माँ उन्हें अकेले बाहर निकलने के लिए क्यों मना करतीं हैं। दोनों रो रही थीं।परंतु,सिल्पू तो उसकी आवाज सुन नहीं रहा था।
इस बीच शिल्पू को प्यास लगी।वह दोनों को वहीं छोड़कर पानी पीने चला गया।सिम्मी और रिम्मी जल्दी से उड़ कर भाग चलीं। रास्ते में उन्हें उनकी मांँ मिल गईं। क्योंकि वे उन्हें ढूंढते हुए आ रही थी।मांँ उन्हें बगीचे में रानी तितली के पास ले गई।रानी तितली ने उन्हें बिना किसी से पूछे कहीं जाने के लिए खूब डांट सुनाई।सिम्मी और रिम्मी ने अपने कान पकड़कर रानी तितली से माफी मांगे और यह संकल्प किया कि कहीं भी जाऊंँगी तो मांँ से पूछ कर।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
No comments:
Post a Comment