हाय रे रिवाज
भारतीय समाज के पौराणिक रिवाजों के अनुसार भारतीय स्त्रियां पति एवं अन्य बड़े पुरुषों के नाम नहीं लेतीं। इतना ही नहीं कुछ घरों का प्रचलन यह भी है कि देवर जी को या जेठानी के बच्चों को भी बबुआ जी, लाला जी और छोटे जी कहकर बुलाया जाता है ।इस परंपरा के अनुसार ही हमारी पड़ोसन ने प्रथम शिक्षिका के रूप में अपने चार वर्षीय बेटे को सब कुछ बोलने के लिए तो सिखाया पर अपने घर के पुरुषों के नाम नहीं बता सकीं। परिणामस्वरूप दुर्गा-पूजा के मेले में उनका बेटा उनकी अंगुली छोड़कर इधर-उधर भटक गया और दूर के किसी गांँव में चला गया संयोग से एक सज्जन भाई की नजर उस पर पड़ी। उनके लाख पूछे जाने पर भी वह बच्चा अपने अभिभावकों का नाम नहीं बता सका । वह तो उन सज्जन व्यक्ति की भलमनसाहत और होशियारी थी कि बच्चे द्वारा गांँव का नाम बताने पर वे उसे हमारे गांँव के मुखिया के पास पहुंँचा दिए ।फिर मुखियाजी गाँव वालों से पहचान करवा कर अपने सेवक द्वारा बच्चे को उसका घर पहुंचाया। इस प्रकार बच्चे के शोक -संतप्त परिवार को शांति मिली ।अन्यथा ................
सुजाता प्रिय समृद्धि
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