मकर संक्रांति ( घनाक्षरी)
मकर संक्रांति आया,
सबका मन हर्षाया,
नई उमंगे है लाया,
तिल गुड़ लाइए।
गुड़ को पिघलाकर,
चाशनी को बनाकर,
तिल भुन मिलाकर,
लड्डूएँ बनाइए।
गुड़ सूर्य को पसंद,
तिल शनि को पसंद,
पिता-पुत्र हो आनंद,
मान तो बढ़ाइए।
प्रातः सभी नहाकर,
सूर्य शनि मनाकर,
लड्डू भोग लगाकर,
प्रसाद ले खाइए।
सुजाता प्रिय समृद्धि
No comments:
Post a Comment