सरस्वती वंदना ( मगही भाषा )
वीणा बाजे रे, सरस्वती माय के द्वार में।
मनमा नाचे रे, उहे वीणा के झंकार में।
रोज मैया के ध्यान लगैबै,चरनियां में सिर नवा के।
मैया हमरा देथिन आशीष,अपने दुनु हथ उठा के।
हमर आस पुरैहा मैया,विद्या-बुद्धि वरदान दे।
जीवनमा संवरे रे, मैया के दुलार में।
वीणा बाजे ये,................
मैया रानी,तू हा वरदानी,हमरा तू वरदान दा।
हम मुरख-अज्ञानी मैया,हमरा सच्चा ज्ञान दा।
विद्या दायिनी मैया मोरी,इहे हमर अरमान है।
झूम-झूमके नाचूँ रे, मैया तोहर प्यार में
वीणा बाजे रे,.....................
सरस्वती मैया,होबा सहैया,पढ़ें लिखे के बेर में।
आखर एक समझ न आबे,गीत-कवित के ढेर में।
जड़मति हमर हर ला मैया,जग में थोड़ा मान दा,
विनती गाऊँ रे, मैया के अलार में।
वीणा बाजे रे.............
सुजाता प्रिय समृद्धि
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