Friday, October 7, 2022

मैं तुम्हारी राज हूँ

मैं तुम्हारी राज हूँ

तुम मेरे सरताज हो और, मैं तुम्हारी राज हूँ।
तुम ही मेरे हमसफर हो, मैं तेरी हमराज हूँ।

तुम बसे मन में मेरे,कैसे यह बतलाऊँ मैं,
तुम दिल की धड़कनें,जिसकी मैं आवाज हूँ।

मन है करता तेरे संग,आसमां में उड़ चलूँ,
तुम जहां तक पर फैलाओ, मैं वहीं अंदाज हूँ।

तुम अगर हो साथ तो,डर नहीं मुझको कोई,
तुम मेरे रखवाले हो और,मैं तुम्हारी लाज हूँ।

सज रही महफ़िल यहांँ,गायकी के वास्ते,
तुम मेरी संगीत बन जा, मैं तुम्हारी साज हूँ।

हो रहा है गान अब, हम भी मिलकर गाएँंगे,
आ तू मेरी गीत बन जा, मैं तेरी आवाज़ हूंँ।

देखो अब सारे जहां में, प्यार का सम्राज्य है,
तुम यहांँ सम्राट बन जा, मैं तुम्हारी ताज हूंँ।

खुशनुमा लगता जहां है,जब तुम्हारा साथ हो,

एक -दूजे के लिए हम, ज़हान से टकरायेंगे,
तुम पे है अभिमान मुझको, मैं तुम्हारी नाज हूँ।

हम नहीं बिछड़े कभी,मन में ऐसी कामना,
संग मेरे हर कल रहोगे,संग तुम्हारे आज हूँ।

              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
                 रांची, झारखण्ड

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