एकता और अखंडता का रूप हिंदी
देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिन्दी भाषा की जननी संस्कृत भाषा है।या यूँ कहें हिन्दी संस्कृत भाषा का ही सरल रूप है।यह एक वैज्ञानिक भाषा है।इस भाषा में कोई उच्चारण दोष नहीं है।इस भाषा को लिखने में स्वरों के मेल के लिए वर्ण नहीं अपितु मात्राओं को प्रयोग में लाया जाता है।संस्कृत हर भाषा की जननी है तो हिन्दी सभी भाषाओं का प्रतिनिधित्व करती है।यह सहजता से समझी और सीखी जाने वाली सरल भाषा है।इसके हर अक्षर और अक्षरों के योग से निर्मित शब्दों में जो माधुर्य है वह किसी अन्य भाषा में नहीं। सच माने तो हिन्दी हमें एकाग्रता के साथ-साथ एकरूपता और अखण्डता का भी पाठ पढ़ाती है। हिन्दी भारत की हर क्षेत्रिय भाषी लोगों को सहजता से समझ आती है। मान्यता यह भी है कि भारत में हजारों क्षेत्रीय भाषाओं की बोली प्रचलित हैं। हर कोश की दूरी पर भिन्न -भिन्न शब्द और उनके अलग-अलग अर्थ हैं जिन्हें दूसरे क्षेत्र के लोगों को समझना कठिन था ।इसलिए सभी भाषाओं को मिश्रित कर सरल भाषा 'हिंदी' का निर्माण हुआ और उसी भाषा को राजकीय और प्रशासनिक कार्यों में प्रयोग किया जाने लगा।इस प्रकार हिंदी देश की जन- भाषा के रूप में विकसित हुई और इसी कारण से हमारी हिन्दी भाषा को हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा बनने का गौरव प्राप्त है।
भारत के हिन्दी साहित्यकार गण हिन्दी भाषा में अपनी बेजोड़ साहित्यिक सृजन कर इस भाषा को लोकप्रिय बनाते हुए 'समृद्धि' की ओर ले जाने का अथक प्रयास कर रहे हैं। इस भाषा में साहित्यारों 'द्वारा लिखे गए लेख, निबंध, नाटक, कहानी, कविता, उपन्यास इत्यादि काफी सुंदर, सार्थक ,प्रेरक और आकर्षक होते हैं।
इस भाषा को विस्तार देने एवं समृद्ध बनाने में हमारे देश के फिल्म- जगत का योगदान भी सराहनीय है ।जो बड़े-बड़े फिल्म -उद्योग चलाकर देश-विदेश में हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार करने का प्रयास कर रहे हैं ।विदेशों में लोग भी बड़ी तन्मयता से हिन्दी फिल्म देखते और पसंंद करते हैं।एक दिन ऐसा भी आएगा जब देश-विदेश में बोली जाने वाली हमारी हिन्दी सम्पूर्ण जगत में लोकप्रियता को प्राप्त कर अपना उच्च और श्रेष्ठतम स्थान प्राप्त करेगी। हिन्दी साहित्यकार इसे शीर्ष स्थान पर पहुंचाने के लिए सतत प्रयत्नशील हैं।एक दिन हमें यह सफलता प्राप्त हो कर ही रहेगी, ऐसा हम अपने मन में दृढ़ विश्वास लेकर निरंतर प्रयास कर रहे हैं। हमारी हिन्दी भाषा जल्द ही अखण्ड भारत का निर्माण कर सम्पूर्ण जगत में अपना अलग पहचान बनाकर रहेगी।
जय हिन्द,जय हिन्दी।
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सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
मौलिक रचना
आशा का संचार करती सार्थक रचना।
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