अँग्रेजों भारत छोड़ो तुम
बहुत लुटे सोने की चिड़िया को,
अंग्रेजों अब तो भारत छोड़ो तुम।
बहुत चले अधर्म के पथ पर,
अब अपने पग को मोड़ो तुम ।
फूट डालकर हम भाई-भाई में,
बहुत किया तूने शासन।
मोह तज अब भाग चलो तुम,
डोल रहा तेरा आसन।
समझ गए हम चाल तुम्हारी,
अब हमको मत फोड़ो तुम।
आए थे व्यापारी बनकर,
करने लगे तुम हम पर राज।
हमारे सभी अधिकार छीन कर,
पहन लिए हुकूमत का ताज।
यहांँ की गद्दी से उतरो अब,
व्रिटेन से नाता जोड़ो तुम।
भारत हमारी मातृभूमि है,
इस पर अधिकार हमारा है।
स्वतंत्रता है अधिकार हमारा,
हमने यहाँ तन-मन वारा है ।
हम सख्ती से तुम्हें हैं कहते,
इस तख्ती से नाता तोड़ो तुम।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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