शिव पार्वती वार्तालाप (दोहा )
सुनिए भोला आज मैं,पीसूंगी ना भांग।
रोज आपके भक्त जन,लाते इसको टांग।।
सुन लो प्यारी पार्वती,भांग पीस दो आज।
तुम ही तो हो जानती,भांग पीने की राज।।
भांग पीस-पीस कर हैं,थक गये मेरे हाथ।
इसे न छोड़ेंगे अगर, मैं न रहूंगी साथ।।
सुन लो पार्वती जरा,मान हमारी बात।
इस भांग को खाकर मैं, रहता हूंँ दिन-रात।।
आज भोलाजी खाइए,फल मेवा मिष्ठान।
आपको भी भाएगा, मुझे भी होगा त्राण।।
गौरा बता जरा मुझे, क्या करती तुम काज।
सदा बच्चों के संग में,घुमती सखी समाज।।
आप तो शम्भु भांग पी,रहते हैं मदहोश ।
सारा काम मैं करती,फिर भी मेरा दोष ।।
सुजाता प्रिय समृद्धि
बहुत मधुर वार्तालाप। विद्यापति की याद आ गई।
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