Friday, December 31, 2021

सुनहरा कल

सुनहरा कल

मास बीते,दिवस बीते,बीत रहे हैं कल।
कल के पहर-घंटे बीते,बीत रहे हर पल।
बीतते कल की हर घड़ी पहर कहता-
धीर धरो अब आने वाला है सुनहरा कल।
          सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

No comments:

Post a Comment