कर्म किए जा लगन लगाकर, करके तू ये आस।
कर्म हमारे भाग्य बदलते,मन में रख विश्वास।
कर्म हमारा सच्चा साथी,हर पल चलता संग।
मेहनत से जो काम करें हम,लाता एक दिन रंग।
कर्म के पथ पर बढ़ते जाओ,मत कर मन उदास।
कर्म हमारे भाग्य बदलते,मन में रख विश्वास।
कर्म करो तो इक दिन तुझको मिलेगा इसका फल।
कर्म करने वाले का होता,जीवन सदा सफल।
सफलता तेरे पग चूमेगी, भर जीवन में उल्लास।
कर्म हमारे भाग्य बदलते,मन में रख विश्वास।
कर्म को अपने बुरा न करना,कर्म ही जीवन सार।
जीवन जीने का मर्म यही है,करो कर्म से प्यार।
कर्म हमारा जीवन धन है,कर्म के हम हैं दास।
कर्म हमारे भाग्य बदलते,मन में रख विश्वास।
स्वरचित, मौलिक
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2092...अनिश्चिताओं के घन हो चले हैं भारी... ) पर गुरुवार 08 अप्रैल 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी सादर आभार भाई।मेरी रचना को पांच लिकों के आनंद पर साझा करने के लिए।
Deleteजो इस मर्म को समझ ले वो अपने कर्म भी सही रखेगा .... शिक्षाप्रद प्रस्तुति .
ReplyDeleteजी दी सादर धन्यवाद।
Deleteसही कहा है.
ReplyDeleteसही कहा है
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार बहना
Deleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सखी
Deleteकर्म हमारे भाग्य बदलते,मन में रख विश्वास।....बहुत सही👍
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सखी!
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